EV: कोरोना ने हमें बचत की सीख दी है. मगर कुछ मामलों में जेब ढीली करने का बढ़ावा भी दिया है महामारी ने. कंसल्टेंसी फर्म EY के हालिया सर्वे के मुताबिक, देश में करीब 90 प्रतिशत उपभोक्ता इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV) को महंगे दाम पर खरीदने के लिए तैयार हैं. EY के मोबिलिटी कंज्यूमर इंडेक्स (MCI) सर्वे में शामिल 13 देशों के करीब नौ हजार रेस्पॉन्डेंट्स में से 40 फीसदी का कहना है कि उन्हें 20 प्रतिशत तक प्रीमियम दाम देने में कोई हिचक नहीं. इस सर्वे में हिस्सा लिए हजार भारतीयों में से हर 10 में से तीन का कहना है कि चार पहिया खरीदने के मामले में वे इलेक्ट्रिक या हाइड्रोजन व्हीकल को प्राथमिकता देंगे.
इस प्राथमिकता के पीछे सोच है पर्यावरण से जुड़ी. एनवायरमेंट फ्रेंडली होने के नाते ये गाड़ियां कंज्यूमर्स को पसंद आ रही हैं. इस सोच को बढ़ावा देने में काफी हद तक बड़ी भूमिका निभाई है कोरोना महामारी ने.
सर्वे के मुताबिक, EV खरीदने के लिए दिए गए कारणों में पर्यावरण संरक्षण सबसे आगे है. इसमें करीब 97 प्रतिशत का कहना है कि कोविड के बाद पर्यावरण को लेकर इंसानी समझ बदली है.
अब हम अपने हरेक कदम से इस पर पड़ने वाले असर को लेकर अधिक जागरूक हैं. EV खरीदने की योजना बना रहे करीब 67 फीसदी लोगों को लगता है कि कम से कम अपनी ओर से तो पर्यावरण को राहत देने का काम किया जा ही सकता है.
69 फीसदी का मानना है कि इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना, इस ओर उठने वाला बड़ा कदम साबित होगा.
सर्वे के नतीजे सामने आने के बाद EY इंडिया के पार्टनर विनय रघुनाथ ने न्यूज एजेंसियों से हुई बातचीत में कहा है कि उपभोक्ताओं की यह जागरूकता इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के सेगमेंट में बड़ी उछाल ला सकती है.
फिर पेट्रोल-डीजल के दाम जिस स्तर पर बढ़ रहे हैं, उससे भी EV की ओर अधिक आकर्षित हो रहे हैं कंज्यूमर. साथ में बिजली से चलने वाले वाहनों को उत्पादन स्तर पर सरकार की ओर से भी बढ़ावा मिल रहा है.
बजट 2021 में 20 हजार EV बसों को ऑपरेट करने के लिए 18 हज़ार करोड़ रुपये तक खर्च करने का प्रस्ताव दिया गया था. 2020 में नीति आयोग ने भी प्रस्ताव दिया था कि EV बैटरी का देसी उत्पादन बढ़ाने के लिए 4.6 अरब डॉलर तक की आर्थिक मदद 2030 तक सेक्टर को दी जाए.
इन प्रस्तावों को जब और जैसे भी लागू किया जाएगा, पब्लिक और प्राइवेट ट्रांसपोर्टेशन में EV का बोलबाला बढ़ेगा. देश में उत्पादन बढ़ने से इन गाड़ियों के दाम घटेंगे.
ईंधन पर चलने वाली व्हीकल्स की तुलना में इनकी कीमतें अधिक महंगी नहीं रह जाएंगी. कंज्यूमर को महंगे दाम पर भी पसंद आ रहीं EV के खरीदारों की संख्या तब और बढ़ सकती है.