Employment: ‘चंबल’ के नाम से शायद ही कोई अछूता रहा हो. दरअसल, दुर्गम बीहड़ों की इस जमीन को कभी देश के दुर्दांत डकैतों की शरणस्थली कहा जाता था. यहां दूर-दूर तक ऊंचे- ऊंचे मिट्टी के टीले नजर आते हैं, लेकिन अब चंबल के इस इलाके ने करवट बदलनी शुरू कर दी है. इसे समय की मांग कहिए या विकास की आधुनिक जरूरत, लोग अब डकैती नहीं यहां रोजगार चाहते हैं. वे बंदूकों की निकलने वाली आग से दूर, देश में बह रही विकास की मुख्यधारा में शामिल हो रहे हैं. यही कारण है कि यहां कभी समाज सेवी ‘विनोबा भावे’ ने डाकुओं के समर्पण का अभियान चलाकर उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने का जो सिलसिला शुरू किया था, आज उसका व्यापक असर दिखाई दे रहा है. अब यहां की तस्वीर पूरी तरह से बदल चुकी है.
चंबल के विकास की कड़ी में केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने मिलकर प्रमुख कदम बढ़ाया है. जी हां, केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के संयुक्त प्रयासों से केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकार ने जो इस क्षेत्र के विकास के लिए योजनाएं बनाई हैं, उनमें अभी कुछ पर काम चल रहा है और कुछ शीघ्र शुरू होने जा रही हैं. इसका परिणाम यह है कि जो भूमि कभी डकैतों की पनाह स्थली के रूप में कुख्यात थी, वह अपने आंचल में औषधीय पौधों के साथ समतलीकरण में खेती की अन्य संभावनाओं के बीच अब ‘हाइब्रिड बीज’ उत्पन्न करने के लिए तैयार होगी.
दरअसल, डाकुओं और अपराधियों की शरणस्थली रहे चंबल के बीहड़ में मोदी सरकार ने खेती करवाने की योजना बनाई है. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर की विशेष पहल पर भारत सरकार कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव अश्विनी कुमार और वैज्ञानिकों की टीम इन दिनों मुरैना पहुंचकर बीहड़ों के विकास की संभावनाओं को तलाश रही है. जिसमें राष्ट्रीय बीज विकास की योजनाएं बनेगी. संयुक्त सचिव एवं वैज्ञानिकों की टीम अब तक जौरा विकासखण्ड के ग्राम छिनवरा और मुरैना विकासखंड के ग्राम पिपरई के समीप स्थल का मुआयना कर चुकी है.
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर कहते हैं चंबल क्षेत्र के संपूर्ण विकास के लिए ‘बीहड़ विकास परियोजना’ पर नए सिरे से काम चल रहा है, इस परियोजना में खेती के साथ-साथ कृषि बाजारों, गोदामों व कोल्ड स्टोरेज का विकास भी होगा. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कहना है कि यहां तीन लाख हेक्टेयर से भी अधिक गैर-खेती योग्य बीहड़ भूमि है, जिसमें कृषि विकास किया जाएगा. वे कहते हैं कि चंबल नदी किनारे काफी जमीन है जहां कभी खेती नहीं हुई, इसलिए यह क्षेत्र जैविक रकबे में जुड़ेगा जो बड़ी उपलब्धि होगी.
केन्द्रीय मंत्री तोमर मानते हैं कि यह परियोजना न सिर्फ क्षेत्र की भूमि को कृषि योग्य बनाएगी बल्कि क्षेत्रीय लोगों के लिए बड़े पैमाने पर रोजगार भी मुहैया कराएगी. उन्होंने प्रस्तावित ‘चंबल एक्सप्रेस’ हाईवे को इस परियोजना से जोड़ते हुए कहा कि इन सब के पूरा हो जाने से समूचे बीहड़ क्षेत्र का बड़े पैमाने पर विकास होगा.
इसी के साथ यहां के किए जा रहे विकास को लेकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि ग्वालियर-चंबल संभाग में विकसित होने वाले अटल प्रोग्रेस-वे के कार्य को युद्ध स्तर पर पूर्ण किए जाने के निर्देश दिए गए हैं. प्रदेश के औद्योगिक विकास और रोजगार के नए अवसर सृजित करने और नए नगरीय क्षेत्रों के विकास के लिए यह परियोजना दूरगामी निवेश हैं. यह प्रदेश की प्रगति को नए आयाम देंगी. यहां संपूर्ण क्षेत्र के चहुंमुखी विकास के लिए हर बारीक से बारीक विषय पर ध्यान दिया जा रहा है.
भारत सरकार कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव अश्विनी कुमार कहते हैं कि कि चंबल के बीहड़ों के विकास के लिये संभावनाओं को तलाशा जा रहा है. जिसमें राष्ट्रीय बीज विकास की योजनाओं को विकसित किया जायेगा. इसके लिये ग्राम छिनवरा और पिपरई के समीप स्थल को तलाशा जा चुका है, आगे अन्य क्षेत्र पर भी काम होगा.