मीटर में जितना होगा पैसा उतनी जलेगी बिजली, जल्द देशभर में लग जाएंगे प्रीपेड स्मार्ट मीटर

Prepaid Smart Mete| जल्द देशभर में लग जाएंगे प्रीपेड स्मार्ट मीटर, जिस तरह से प्रीपेड मोबाइल काम करता है, स्मार्ट मीटर भी ठीक उसी तरह से काम करेगा.

Center told state governments not to sell electricity outside at high prices

उस समय दैनिक बिजली की खपत 390 करोड़ यूनिट के पहले पखवाड़े के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई थी

उस समय दैनिक बिजली की खपत 390 करोड़ यूनिट के पहले पखवाड़े के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई थी

अब जल्द ही केंद्र सरकार के दफ्तरों (Central Government Offices) में प्रीपेड स्मार्ट मीटर (Prepaid Smart Meter) लग जाएंगे. बिजली मंत्रालय (Power Ministry) ने सरकार के सभी केंद्रीय मंत्रालयों को सलाह दी है कि वो अपने प्रशासनिक नियंत्रण वाले संगठनों को प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने का निर्देश दें. ऐसा हो जाएगा तो मीटर में जितना पैसा होगा, उतनी की ही बिजली जला पाएंगे. ऐसा, होगा तो बिजली वितरण कंपनियों के वित्तीय हालत सुधरेगी, जो अब तक बिजली बकाए बिल के बोझ तले दबी हुई हैं. इससे देश भर में एक पॉजिटिव संदेश जाए. इसके बाद देश के सभी बिजली उपभोक्ताओं के यहां भी प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगा दिए जाएंगे. हालांकि, इसमें कृषि कार्य के लिए बिजली का कनेक्शन लेने वाले शामिल नहीं होंगे.

क्या है प्रीपेड स्मार्ट मीटर

जिस तरह से आपका प्रीपेड मोबाइल काम करता है, स्मार्ट मीटर भी ठीक उसी तरह से काम करेगा. मतलब जितना पैसा उतनी बिजली. हालांकि देश के कई हिस्सों में प्रीपेड मीटर का इस्तेमाल होता है. केंद्र सरकार के दफ्तरों में प्रीपेड मीटर लगने के बाद इसे देशभर में लागू किया जाएगा. सभी बिजली उपभोक्ताओं के घरों में प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगा दिए जाएंगे.

बकाया भुगतान करने में मदद मिलेगी

केंद्रीय बिजली मंत्रालय के मुताबिक वित्त मंत्रालय ने एक स्पष्टीकरण जारी करते हुए सभी केंद्रीय मंत्रालयों और केंद्रीय विभागों से बैंक गारंटी पर जोर दिये बिना प्री-पेड बिजली के मीटर के लिये अग्रिम भुगतान करने को कहा है. बिजली मंत्रालय के अनुसार सभी सरकारी विभागों में प्रीपेड स्मार्ट मीटर न केवल वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) को फाइनेंशियल तौर पर मजबूती देने और ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण साबित होगा. वहीं राज्यों के लिये भी एक मॉडल के रूप में काम करेगा. इससे उनके अपने विभागों द्वारा बकाया बिजली बिलों का भुगतान करने में मदद मिलेगी.

लेट और कम पेमेंट के कारण बिजली कंपनियों का बुरा हाल

इलेक्ट्रिसिटी प्रोवाइडर कंपनियों का बुरा हाल होने का एक बड़ा कारण केंद्र और राज्य सरकारी विभागों पर भारी भरकम बकाया बिजली बिल, लेट पेमेंट और कम पेमेंट का होना है. राज्यों से मिली जानकारी के मुताबिक उनके सरकारी विभागों पर 2020-21 के आखिर में कुल 48,664 करोड़ रुपये का बिजली बिल बकाया था.

Published - August 13, 2021, 07:05 IST