Domestic Airfares Increased: देश के भीतर अब उड़ान भरना महंगा हो गया है. एविएशन मिनिस्ट्री ने गुरुवार देर रात डोमेस्टिक एयर फेयर्स के न्यूनतम और अधिकतम दोनों स्तरों में 12.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी की. सरकार ने एयरलाइंस को 7.5% अधिक डोमेस्टिक फ्लाइट ऑपरेट करने की अनुमति देने के साथ किराए में बढ़ोतरी की है. डोमेस्टिक फ्लाइट की कैपेसिटी डिप्लॉयमेंट अब 65% से बढ़कर 72.5% हो गई है.
कोविड महामारी को देखते हुए एविएशन मिनिस्ट्री लगातार डोमेस्टिक फेयर और कैपेसिटी दोनों को रेग्यूलेट कर रही है.
सरकार ने 1 जून, 2021 को डोमेस्टिक एयर फेयर्स में 15% की बढ़ोतरी की थी, जबकि कोरोना की दूसरी लहर की वजह से फ्लाइट्स को प्री-कोविड लेवल के 80% से घटाकर 50% कर दिया गया था.
5 जुलाई को कैपेसिटी को बढ़ाकर 65% कर दिया गया. अब ये कैपेसिटी 72.5% कर दी गई है.
सरकार के किराए बढ़ाए जाने के बाद दिल्ली-मुंबई का वन-वे मिनिमम फेयर 4,700 रुपये से बढ़कर 5287.5 रुपये हो गया है. वहीं मैक्सिमम फेयर 13,000 रुपये से बढ़कर 14,625 रुपये. इसमें टैक्स शामिल नहीं है.
जेट फ्यूल की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण इस साल एयर फेयर्स में यह चौथी बढ़ोतरी है. किसी भी एयरलाइन का सबसे ज्यादा खर्च फ्यूल पर ही होता है.
भारत की ज्यादातर एयरलाइन महामारी के दौरान सरकार से किसी भी वित्तीय सहायता के अभाव में सरवाइव करने के लिए संघर्ष कर रही हैं.
25 मई, 2020 को दो महीने के ब्रेक के बाद जब शेड्यूल डोमेस्टिक फ्लाइट्स फिर से शुरू हुईं थी, तो सरकार ने एयरलाइनों को कोविड के समय से पहले की फ्लाइट्स की तुलना में एक-तिहाई फ्लाइट्स के साथ शुरू करने को कहा था. इसके साथ ही सरकार ने फेयर बैंड भी तय किया था ताकि दो चीजें सुनिश्चित हो सके.
पहली यह कि कोई भी एयरलाइन पैसेंजर से मनमाना किराया न वसूल सके. दूसरी यह कि जो भी एयरलाइन फाइनेंशियली मजबूत है वो किराए को इतना ज्यादा कम न कर दें कि आर्थिक रूप से कमजोर एयरलाइन पर इसका असर पड़े और वह बैंकरप्ट हो जाए.
कई एयरलाइंस और एयरपोर्ट ऑपरेटर सरकार से इस क्षेत्र को अपने नियंत्रण से मुक्त करने के लिए कह रहे हैं. एयरलाइंस और एयरपोर्ट ऑपरेटरों का कहना है कि इस सेक्टर के रिवाइवल के लिए किराया तय करने की जिम्मेदारी मार्केट पर छोड़ दी जाना चाहिए.
एयरलाइन और होटल समेत पूरी ट्रैवल इंडस्ट्री को ऐसा लगता है कि उनका अस्तित्व डोमेस्टिक ट्रैवलर्स पर टिका हुआ है. ऐसा इसलिए क्योंकि इंटरनेशनल ट्रैवल को पूरी तरह से खुलने में समय लग सकता है. महामारी की वजह से कई देशों में भारतीय पर्यटकों को अनुमति नहीं दी जा रही है.