अभिनव ने हाल ही में एक ई-फार्मेसी ऐप से अपनी मां के लिए डाइबिटीज की दवाएं मंगाई थीं. ऑर्डर डिलीवर होने के कुछ दिन बाद उन्हें उस ऐप से कॉल आया. कॉलर ने उन्हें कुछ हर्बल दवाएं सजेस्ट की और कहा कि ये दवाएं भी ऑर्डर कर लें. अभिनव हैरान हो गए और पूछा कि क्या कोई रिसर्च या रिजल्ट है जो उन दवाओं के असर की पुष्टि करते हों. इसपर कॉलर ने कहा कि ये दवाएं डाइबिटीज पेशेंट के लिए रेकमेंडेंड हैं, उनके पास बल्क में ऑर्डर आते हैं. ये पेशेंट के लिए अच्छी हैं, इसलिए वो ऑर्डर करने के लिए कह रही हैं. अभिनव ने पूछा कि क्या वो दवाओं की सेफ्टी की गारंटी लेंगी? कॉलर ने जवाब दिया कि ठीक है आप मत करो ये ऑर्डर और फिर कॉल काट दिया.
ये तो हो गई अभिनव की बात, अभिनव ठहरे एक जागरुक कस्टमर तो उन्हें 100 चीजें पूछ डालीं और कॉलर ने घबराकर फोन काट दिया. हर कोई अभिनव जितना जागरुक नहीं होता. इस तरह के कॉल से हम सभी रोजाना दो-चार हो रहे हैं. कभी दवा तो कभी लोन, कभी क्रेडिट कार्ड तो कभी ट्रैवल पैकेज. यानी आप पर किसी न किसी तरह का प्रोडक्ट खरीदने का दबाव बनाया जाता है. सामान बेचने के इस तरीके को कहते हैं पुश सेलिंग.
क्या होती है पुश सेलिंग (Push Selling)? पुश सेलिंग में आपको वो नहीं बेचा जाता जिसकी आपको जरूरत है बल्कि वो बेचा जाता है जो कंपनी बेचना चाहती है. सामान की अच्छाइयों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है और फिर ऑफर को आकर्षक बनाने के लिए डिस्काउंट, कूपन कोड, सस्ता लोन, एडेड सर्विस जैसे ऑफर्स जोड़ दिए जाते हैं. पुश सेलिंग या पुश मार्केटिंग एक प्रमोशनल स्ट्रैटजी है जिसके लिए कंपनियां एजेंट, रिटेलर से लेकर ई-कॉमर्स पोर्टल से टाईअप करती हैं और उन्हें सामान बेचने पर इंसेटिव देती हैं. बिना किसी एडवर्टाइजिंग के प्रोडक्ट बेचा जाता है और कई बार ऐसे प्रोडक्ट जिनके प्रदर्शन का कोई रिकॉर्ड नहीं होता, न ही वो किस मानदंड पर बने हैं, इसकी कोई पुष्टि होती है. लोग पुश सेलिंग के जाल में फंसकर वो चीजें खरीद लेते हैं, जिनकी उन्हें जरूरत नहीं होती है. ऐसे प्रोडक्ट भी ग्राहक पर ठेल दिए जाते हैं जिनपर कंपनियों को क्या मंजूरी मिली है क्या नहीं इसकी जानकारी तक नहीं होती.
पुश सेलिंग और मिससेलिंग (Misselling) ग्राहकों को नए प्रोडक्ट बेचने के लिए कंपनियां पुश सेलिंग का सहारा लेती हैं. खरीदारी का ये दबाव मिससेलिंग की एक बड़ी वजह बनता है. आक्रामक सेल्स पिच में कई बार प्रोडक्ट को इतना बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है कि ग्राहक गुमराह होकर गलत सामान खरीद बैठता है. पुश सेलिंग और मिससेलिंग के बीच बहुत कम फासला रह जाता है. कंज्यूमर पॉलिसी एक्सपर्ट बेजॉन मिश्रा का कहना है कि पुश सेलिंग एक अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस है. इसे कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 में अच्छे से परिभाषित किया गया है. उन्होंने कहा, “पुश सेलिंग लोगों को गुमराह करती है. लोगों को जबरदस्ती खरीदारी की कोशिश की जाती है. लोगों को लगता है कि उन्हें सस्ते में सामान बेचा जा रहा है जबकि उनकी एमआरपी जानबूझकर ऊंची रखी जाती है.”
पुश सेलिंग और पेस्की कॉल पेस्की कॉल पुश सेलिंग का एक बड़ा माध्यम हैं. ज्यादातर पेस्की कॉल और टैक्स्ट मैसेज अनरेजिस्टर्ड टेलीमॉर्केटर्स (UTMs) से आते हैं. ये अनरजिस्टर्ड टेलीमॉर्केटर्स पर्सनल मोबाइल नंबर से फोन करते हैं जिनपर रोक लगाना या उनकी मॉनिटरिंग करना लगभग असंभव है. इंडस्ट्री एस्टिमेट्स के मुताबिक करीब 2,50,000 रजिस्टर्ड टेलीमॉर्केटर्स हैं जबकि अनरजिस्टर्ड टेलीमॉर्केटर्स की संख्या इससे दोगुनी है. पिछले साल आए लोकल सर्किल्स (LocalCircles) के एक सर्वे के मुताबिक 66% लोगों ने कहा कि उन्हें हर दिन तीन या उससे ज्यादा पेस्की या स्पैम कॉल्स आते हैं. ऐसा डीएनडी यानी डो नॉट डिस्टर्ब (do-not-disturb) के बावजूद हो रहा है जिसकी मदद से पेस्की कॉलर्स पर रोक लगाने का दावा किया जाता है. डीएनडी करने वाले 95% लोगों का कहना था कि उन्हें कॉल आने बंद नहीं हुए. इस सर्वे में ये भी पता चला कि देश में स्पैम कॉल्स में सबसे ज्यादा – फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स (51%) और रियल एस्टेट (29%) की पुश सेलिंग की जाती है.
जरूरी बातें पुश सेलिंग एक जानी मानी सेल्स स्ट्रैटजी है. इसमें कोई बुराई नहीं है बहुत सारी कंपनियां अपना सामान बेचने के लिए इसका इस्तेमाल करती हैं.लेकिन इसमें गलत ये है कि कंपनियां पैसा बनाने के लिए पुश सेलिंग के जरिए ग्राहक को ऐसा सामान खरीदने के लिए दबाव बनाती हैं जिसे उसकी जरूरत ही न हो. ऐसे खरीदा गया समान अगर आपके काम न आए या वादे के मुताबिक नहीं निकले तो आप कुछ ज्यादा कर भी नहीं पाते. शिकायत तो कर देंगे सरकारी पोर्टल पर उसका फॉलोअप कितना होगा इसकी गारंटी नहीं. कंपनियों का काम है बेचना और आपका काम है सेल्स पिच में नहीं बहना. टेलीकॉलर के कॉल्स, ई-कॉमर्स साइट पर मिसलिडिंग ऐड्स, बाई वन गेट 2 के लालच में आकर शॉपिंग ना करें. कोई सामान खरीदना-ना खरीदना अपनी च्वाइस होनी चाहिए ना कि किसी और की. इसलिए जागरुक बनें और फिर खरीदारी करें.
कहां करें शिकायत? एक्सपर्ट्स कहते हैं कि लोगों को पुश सेलिंग के मामलों की ज्यादा से ज्यादा शिकायत करनी चाहिए. आप नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन – 1800-11-4000 या 1915पर कॉल कर शिकायत कर सकते हैं. आप कंपनी का प्रोड्क्ट, डिस्क्रिप्शन देकर शिकायत कर सकते हैं, बता सकते हैं कि किस तरह आपको जबरदस्ती कोई सामान बेचने की कोशिश की जा रही है जो गलत है.
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