अगले कुछ वर्षों में डिजिटल पेमेंट्स तेज रफ्तार से बढ़ेंगे. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2025 तक भारत में होने वाले सभी तरह के पेमेंट्स में डिजिटल पेमेंट्स की हिस्सेदारी 71.7 फीसदी रहेगी.
ACI वर्ल्डवाइड की रिपोर्ट में कहा गया है कि कैश और चेक और दूसरे पेमेंट विकल्पों की हिस्सेदारी महज 28.3 फीसदी ही रह जाएगी. ACI वर्ल्डवाइड कंपनियों को पेमेंट सॉल्यूशंस मुहैया कराती है.
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2020 में भारत ने 25.5 अरब रियल टाइम पेमेंट्स ट्रांजैक्शंस के साथ चीन को भी पीछे छोड़ दिया है. इस दौरान चीन में 15.7 अरब डिजटल ट्रांजैक्शंस हुए हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 में हुए कुल पेमेंट्स में इंस्टैंट पेमेंट्स की हिस्सेदारी 15.6 फीसदी रही है. 22.5फीसदी अन्य इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट्स रहे हैं और पेपर बेस्ड पेमेंट्स की हिस्सेदारी 61.4 फीसदी रही है. इसमें कहा गया है कि 2025 तक इंस्टैंट पेमेंट्स की हिस्सेदारी बढ़कर 37.1 फीसदी और इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट्स की हिस्सेदारी 34.6 फीसदी पर पहुंच जाएगी. जबकि दूसरी ओर कैश और दूसरे पेपर आधारित पेमेंट्स की हिस्सेदारी घटकर 28.3 फीसदी रह जाएगी.
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2024 में ओवरऑल इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजैक्शंस में रियल-टाइम पेमेंट्स की हिस्सेदारी 50 फीसदी से ऊपर निकल जाएगी. ACI वर्ल्डवाइड के वाइस प्रेसिडेंट कौशिक रॉय ने कहा है कि भारत में सरकार, रेगुलेटर, बैंकों और फिनटेक के बीच एक गठजोड़ है जिससे फाइनेंशियल इनक्लूजन को आगे बढ़ाने में मदद मिली है. इससे देश के नागरिकों के लिए तेजी से डिजिटल पेमेंट करना मुमकिन हो सका है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी के चलते कंज्यूमर और कारोबारी व्यवहार में लगातार बदलाव जारी है. ऐसे में बैंक, मर्चेंट्स और इंटरमीडियरीज तेजी से खुद को डिजिटल रूप में तब्दील कर रहे हैं.
इस वैश्विक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत, चीन, साउथ कोरिया, थाइलैंड और यूके 2020 में उन टॉप 5 देशों में रहे हैं जहां रियल टाइम ट्रांजैक्शंस सबसे ज्यादा हुए हैं.