चीन में डीजल की राशनिंगः क्या भारत पर भी पड़ सकता है असर?

चीन में ट्रकों को केवल 100 लीटर डीजल भरवाने की ही इजाजत दी गई है जो कि उनकी कुल कैपेसिटी का केवल 10 फीसदी है.

diesel rationing in china: would it impact india?

डीजल का इस्तेमाल ट्रांसपोर्टेशन में होता है, ऐसे में रॉ मैटेरियल की सप्लाई पर इसका फर्क पड़ेगा.

डीजल का इस्तेमाल ट्रांसपोर्टेशन में होता है, ऐसे में रॉ मैटेरियल की सप्लाई पर इसका फर्क पड़ेगा.

चीन इन दिनों एक अजीब क्राइसिस से जूझ रहा है. पिछले कुछ दिनों से चीन कोयले की किल्लत के चलते बिजली संकट में फंसा हुआ है और इसके चलते घरों, कारखानों में बिजली की सप्लाई की दिक्कतें पैदा हुई हैं. लेकिन, अब चीन एक और मुश्किल में आ फंसा है. लेकिन, अहम बात ये है कि इस क्राइसिस के भारत समेत दुनियाभर में फैलने की भी आशंका पैदा हो रही है.
दरअसल, चीन में अब डीजल की किल्लत पैदा हो गई है. इसके चलते चीन में डीजल की राशनिंग लागू करनी पड़ रही है. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पेट्रोल स्टेशनों के बाहर ट्रकों को डीजल भराने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है.

चीन में ट्रकों को केवल 100 लीटर डीजल भरवाने की ही इजाजत दी गई है जो कि उनकी कुल कैपेसिटी का केवल 10 फीसदी है.

इसके चलते चीन से सामान लेकर दूसरे देशों को जाने वाले ट्रांसपोर्टेशन के काम पर बुरा असर पड़ सकता है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि इससे ग्लोबल सप्लाई चेन की चुनौतियां पैदा हो सकती हैं.

यहीं से एक बड़ा सवाल पैदा हो रहा है कि चीन में डीजल की किल्लत का भारत पर भी असर पड़ सकता है और यहां किस तरह की मुश्किलें हो सकती हैं.

एक्सपर्ट हालांकि, इससे इनकार कर रहे हैं. पेट्रोवॉच के एडिटर-इन-चीफ मधु नैनन कहते हैं कि चीन में डीजल की राशनिंग की मुख्य वजह वहां इसकी कीमतों को काबू में रखना हो सकती है.

वे कहते हैं, “चीन में अभी भी ज्यादातर ट्रेड स्टेट के कंट्रोल में है. क्रूड की कीमतों में तेजी को देखते हुए शायद चीन डीजल के दाम और न बढ़ें इसके लिए इसकी राशनिंग कर रहा है.”

हालांकि, वे कहते हैं कि डीजल का इस्तेमाल ट्रांसपोर्टेशन में होता है, ऐसे में रॉ मैटेरियल की सप्लाई पर इसका फर्क पड़ेगा. दरअसल, यूरोप में इस दफा ईंधन का ज्यादा स्टोरेज नहीं हुआ था क्योंकि कीमतों में इतनी तेजी आने का किसी को भी अंदेशा नहीं था. ऐसे में अचानक डिमांड बढ़ी है और इस वजह से कीमतें भी बढ़ रही हैं.

हालांकि, नैनन कहते हैं कि यूरोप में सर्दियां खत्म होने के बाद क्रूड की कीमतों में तेजी का दौर भी रुकने की उम्मीद है.
नैनन कहते हैं कि सेमीकंडक्टर की शॉर्टेज की वजह से अगले 2 साल तक तमाम चीजों की किल्लत दुनियाभर में रहने वाली है.

Published - October 29, 2021, 02:52 IST