दिल्ली से मुंबई तक के सफर को आसान बनाने के मकसद से दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे तैयार किया जा रहा है. 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की अनुमानित लागत से विकसित किया जा रहा यह हाईवे 1,386 किलोमीटर लंबा है. इसके दिसंबर तक पूरी तरह से तैयार होने की उम्मीद है. इसके जरिए दिल्ली से मुंंबई की दूरी महज 12 घंटे में तय की जा सकेगी. यह जानकारी केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री और हाईवेज़ नितिन गडकरी ने एक इंटरव्यू के दौरान दी.
गडकरी ने बताया कि अब तक वडोदरा तक दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे का निर्माण पूरा कर लिया गया है. जल्द ही प्रधानमंत्री इस राजमार्ग पर एक और पार्ट खोलेंगे जो रतलाम तक जाएगा. एक्सप्रेसवे सूरत तक पूरा हो चुका है, इससे आगे निर्माण के लिए टेंडर प्रक्रिया को 12 पैकेजों में बांटा गया है. 12 में से छह पैकेज दिए जा चुके हैं और सोलापुर पैकेज पर काम शुरू हो गया है. सूरत से नासिक तक कुछ पर्यावरणीय समस्याएं थीं, जिसे अब सुलझा लिया गया है.
मंत्री ने यह भी कहा कि दिल्ली और चेन्नई के बीच की दूरी को 320 किमी कम करने का लगभग 70-80 प्रतिशत काम भी इस साल के अंत तक पूरा हो जाएगा. मध्य प्रदेश में दिल्ली-वडोदरा-मुंबई एक्सप्रेसवे का आठ-लेन राजस्थान सीमा पर नीमथुर गांव से शुरू होता है और गुजरात की सीमा के टिमरवानी गांव में समाप्त होता है. मध्य प्रदेश में यह हाईवे मंदसौर, रतलाम और झाबुआ जिलों से गुजरते हुए, राज्य के गरोठ, जावरा, रतलाम और थांदला सहित प्रमुख शहरों को जोड़ेगा.
इसके अलावा 1,270 किलोमीटर लंबे सूरत-चेन्नई एक्सप्रेसवे का निर्माण भी जल्द पूरा किया जाएगा. ये भारत का दूसरा सबसे लंबा एक्सप्रेसवे होगा. जनवरी 2023 में इसका काम शुरू हुआ है. इसे 45,000 करोड़ रुपए की लागत से बनाया जाएगा.
कचरे का किया जा रहा उपयोग
गडकरी ने बताया कि भारत में सड़कों और राजमार्गों का निर्माण करते समय पर्यावरण का भी ध्यान रखा जा रहा है राजमार्गों पर बांस क्रैश बैरियर स्थापित करना और रबरयुक्त बिटुमेन का उत्पादन करने के लिए बेकार टायर सामग्री का उपयोग किया जा रहा है. इसके अलावा अब तक 703 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण बेकार प्लास्टिक से किया गया है. जल्द ही सड़क निर्माण में नगर निगम के कचरे का उपयोग करने के लिए भी एक नीति शुरू करने की योजना बनाई जा रही है.