ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भ्रामक विज्ञापनों के जरिए लोगों को गुमराह करने और उनकी पसंद, नापसंद को प्रभावित करने अब महंगा पड़ेगा. दरअसल उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए सरकार जल्द ही नए नियम लागू कर सकती है. इसलिए एक मसौदा तैयार किया गया है. जिसमें डार्क पैटर्न यानी ऑनलाइन मंच का गलत इस्तेमाल रोकने से संबंधित दिशानिर्देश हैं. सरकार ने इस पर 5 अक्टूबर तक इस पर राय मांगी है.
प्रस्तावित दिशानिर्देशों के तहत लगभग 10 डार्क पैटर्न की पहचान की गई जिनमें, झूठी तात्कालिकता, समान का अकाल, जबरन कार्रवाई, मेंबरशिप का जाल, इंटरफ़ेस हस्तक्षेप, ड्रिप मूल्य निर्धारण, भ्रामक विज्ञापन आदि शामिल हैं. सरकार के मुताबिक जो प्लेटफॉर्म उपयोगकर्ताओं को तत्काल खरीदारी करने के लिए गुमराह करते हैं या ऐसा दिखाते हैं जो सामान उन्हें खरीदना है, जल्दी करें नहीं तो ये चुनिंदा स्टॉक ही उपलब्ध है, इसके बाद ये खत्म हो जाएगा. इस तरह से लोगों को गुमराह करना गलत है. इसके अलावा चेकआउट के समय अतिरिक्त भुगतान वाली वस्तुओं जैसे उत्पादों, सेवाओं या दान के लिए भुगतान को शामिल करना भी उपभोक्तओं के हितों के खिलाफ है.
क्या होता है डार्क पैटर्न?
ऑनलाइन ग्राहकों को धोखा देने या उनकी पसंद में हेरफेर करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली रणनीति को ‘डार्क पैटर्न’ कहते हैं. इसे काबू करने के लिए ही नए दिशानिर्देशों को अंतिम रूप दिया जा रहा है, जल्द ही इसके लागू होने की संभावना है. मंत्रालय का कहना है कि इससे उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा होगी और पारदर्शी बाजार को बढ़ावा मिलेगा. उपभोक्ता मामलों के विभाग के तहत केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण समय-समय पर डार्क पैटर्न को लेकर दिशानिर्देश जारी करता है. अब इसमें कुछ नई चीजें शामिल की जा रही हैं.