Cyber Fraud: गाजियाबाद के सुबोध का डेयरी का काम है. एक दिन सुबह उन्हें फोन आया कि जियो कंपनी उनके प्लॉट पर मोबाइल टावर लगाना चाहती है. जमीन के किराए के रूप में एकमुश्त 25 लाख रुपए एडवांस और 40 हजार रुपए हर महीने मिलेंगे. ऑफर सुबोध को पहली बार में ही पसंद आ गया और उन्होंने आधार कार्ड, पैन और बैंक खाते की डिटेल्स शेयर कर दीं. फिर टेलीकॉम रेग्युलेटर TRAI के स्टैंप वाला एग्रीमेंट लेटर दिखाकर 25 लाख रुपए के एडवांस पर उनसे 1 फीसद TDS मांगा गया तो उन्होंने 25,000 रुपए भी जमा कर दिए और प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए वेरिफिकेशन हुआ तो SMS में आया OTP शेयर कर दिया. 25 लाख रुपए का एडवांस तो नहीं आया, उल्टा बैंक अकाउंट से निकल गए 60 हजार रुपए. जी हां! सुबोध लालच में आकर साइबर ठगी के शिकार हो गए.
TRAI कोई NOC जारी नहीं करता
देशभर में मोबाइल टावर लगाने के नाम पर बड़े पैमाने पर ठगी का धंधा चल रहा है. घर की छत, प्लॉट या खेत में मोबाइल टावर निश्चित कमाई का जरिया बन सकता है लेकिन टेलीकॉम सेक्टर से जुड़ी कोई भी कंपनी सीधे लोगों को फोन नहीं करती. इस मामले में TRAI का कोई दखल नहीं होता. मोबाइल टॉवर लगाने के लिए टेंडर जैसी लंबी प्रक्रिया होती है. बीते कुछ वर्षों में टावर लगवाने के नाम पर फ्रॉड के मामले तेजी से बढ़े हैं. इस तरह की ठगी रोकने के लिए सरकार लोगों को बार-बार सावधान रहने की सलाह दे रही है. टेलीकॉम रेग्युलेटर की तरफ से कई बार SMS भेजकर आगाह किया गया है कि मोबाइल टावर लगाने के लिए TRAI कोई NOC नहीं देता. अगर कोई धोखेबाज आपके पास फर्जी लैटर लेकर आए तो इसकी जानकारी संबंधित सर्विस प्रोवाइडर और स्थानीय पुलिस को दें.
अनजान लिंक पर क्लिक नहीं करने की सलाह
सावधान रहें कि कई बार ठगी वाले मैसेज में एक लिंक भी आता है, इस लिंक पर क्लिक करके फॉर्म भरने के लिए कहा जाता है. इस तरह के लिंक पर गलती से भी क्लिक न करें. अपने बारे में किसी भी तरह की जानकारी न दें. अगर कोई पैसे मांगे तो साफ इनकार कर दें. साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट डॉ. दिव्या तंवर कहती हैं कि इस बात को अच्छी तरह से समझ लें कि अगर कोई आपको घर बैठे फोन पर बड़े फायदे की बात बता रहा है. तो यह कॉल निश्चित रूप से ठगी से जुड़ी होगी. सरकार, बैंक या अन्य किसी कंपनी से जुड़ा व्यक्ति आपसे कभी पासवर्ड और OTP नहीं मांगता. अगर कोई मांग रहा है तो आपको ठगा जा रहा है.
बचाव के लिए क्या करें?
अब सवाल ये है कि सुबोध क्या करें. सबसे पहले उन्हें स्थानीय पुलिस में शिकायत दर्ज करानी चाहिए. इसके बाद साइबर सेल में मामला दर्ज कराएं. साथ ही अपने बैंक को लिखित में बताएं. हालांकि ऐसे मामलों में पैसा वापस मिलने की गुंजाइश कम ही होती है, लेकिन शिकायत दर्ज करने से बैंक यह पता कर सकता है कि ट्रांजैक्शन किस खाते में हुई है. इससे पुलिस को जांच करने में मदद मिलेगी. बहरहाल, इस तरह की ठगी से बचने के लिए सावधानी ही सबसे बड़ा हथियार है.