इंटरनेट अब लोगों की जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है. इस प्रौद्योगिकी ने हमारी जिंदगी काे काफी हद तक आसान बना दिया है. लेकिन इंटरनेट की दुनिया जितनी सहज है, उतनी खतरनाक भी है. इसी खतरनाक दुनिया का एक हिस्सा है डार्क वेब. यह अपने आप में किसी रहस्यमयी शब्द जैसा लगता है. साइबर अपराधी इसी टेक्नोलॉजी का फायदा उठाकर लोगों का डाटा चुरा रहे हैं और उन्हें वित्तीय ठगी का शिकार बना रहे हैं. इस तरह के अपराध को अंजाम देकर ठगी के गिरोह में शामिल लोग साफ बच जाते हैं.
दरअसल, आभाषी दुनिया की तेजी से बढ़ रही पहुंच के बीच ऑनलाइन फ्रॉड के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. इंटरनेट का जितना इस्तेमाल आप हम करते हैं वह इस वर्चुअल वर्ल्ड का महज 5 से 10 फीसद हिस्सा है. इंटरनेट की एक बड़ी दुनिया है जहां हम नहीं पहुंच पाते हैं. उसी दुनिया को कहा जाता है डार्क वेब. डार्क वेब इंटरनेट का वह हिस्सा है जिसे हम ट्रैक नहीं कर सकते हैं. ट्रेडिशनल वेब ब्राउजर के जरिए इसे खोजा नहीं जा सकता है. इसे सिर्फ खासतौर से डिजाइन किए गए वेब ब्राउजर और सर्च इंजन के जरिए खोजा जा सकता है.
आसान शब्दों में कहें तो ‘डार्क वेब’ इंटरनेट की आभासी दुनिया का अछूता हिस्सा है जिसे इंटरनेट इस्तेमाल करने वाला हर व्यक्ति एक्सेस नहीं कर सकता. इसके जरिए कई अवैध गतिविधियां होती हैं, आम लोगों को ठगा जाता है और कई काले धंधे चलाए जाते हैं. वेब के जिस हिस्से का हम इस्तेमाल करते हैं उसे सर्फेस वेब कहते हैं. डार्क वेब, सर्फेस वेब से बिल्कुल अलग है. डार्क वेब में कंटेंट को लेकर कोई रेगुलेशन नहीं है. डार्क वेब तक पहुंचने के लिए स्पेशल परमिशन की जरूरत होती है. माना जाता है कि दुनियाभर में हो रहे अवैध और गलत कामों की प्लानिंग यहीं होती है.