Cryptocurrency: निजी डिसेंट्रलाइज्ड एक्सचेंज खोलने की तैयारी में WazirX

WazirX निजी डिसेंट्रलाइज्ड एक्सचेंज लाने की तैयारी में है, ये पीयर-टू-पीयर मार्केटप्लेस है, जो cryptocurrency खरीदारों और विक्रेताओं को जोड़ता है.

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image: pixabay, ये कदम उन ट्रेडर्स को प्लेटफॉर्म देने का है, जहां वो बैंकों की नियम शर्तों से बिना प्रभावित हुए क्रिप्टो में व्यापार करना चाहते हैं.

image: pixabay, ये कदम उन ट्रेडर्स को प्लेटफॉर्म देने का है, जहां वो बैंकों की नियम शर्तों से बिना प्रभावित हुए क्रिप्टो में व्यापार करना चाहते हैं.

WazirX वॉल्यूम के हिसाब से देश का सबसे बड़ा क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज (cryptocurrency exchange) है, जो अगले महीने अपने निजी डिसेंट्रलाइज्ड एक्सचेंज को लाने की तैयारी कर रहा है. ये एक पीयर-टू-पीयर मार्केटप्लेस होगा जहां खरीदार और विक्रेता सीधे क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency) का लेनदेन कर सकते हैं. डिसेंट्रलाइज्ड एक्सचेंज नॉन-कस्टोडियल होते हैं, जहां स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट के जरिए ब्लॉकचेन ट्रांजेक्शन्स को अंजाम दिया जा सकता है.

हम अगले महीने के शुरुआत में इस डिसेंट्रलाइज्ड एक्सचेंज को लॉन्च कर सकते हैं, जो अभी टेस्टिंग फेज में चल रहा है. एक सेंट्रलाइज्ड सेटअप के उलट जहां एक एक्सचेंज ग्राहक के क्रिप्टो का संरक्षक होता है, एक DEX बिना किसी मध्यस्थ संस्था के ट्रांजेक्शन की निकासी और फंड्स की कस्टडी रखता है. इसमें लेनदेन स्वयं स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स के जरिए होते हैं. ये एक सॉफ्टवेयर बनाने जैसा है, जहां कंप्यूटर नेटवर्किंग के जरिए जुड़े क्रिप्टो के खरीदार और विक्रेता सीधे आसानी के साथ लेनदेन कर सकते हैं क्योंकि DEX के पास उनका कोई डेटा नहीं है. एक बार लॉन्च होने के बाद, इसे वापस नहीं लिया जा सकता है. इसलिए आपके फंड्स भविष्य में तब भी सुरक्षित रहेंगे, जब फ्यूचर में संगठन हो या न हो.

हाल में यूनीस्वैप और पैनकेकस्वैप जैसे डिसेंट्रलाइज्ड एक्सचेंज्स की मांग में इजाफा देखने को मिला है.

वर्तमान में, बैंकों ने क्रिप्टो एक्सचेंजों (cryptocurrency exchange) को सेवाएं देना बंद कर दिया है जिसके कारण एक्सचेंज की संख्या में 60% तक की गिरावट दर्ज की गई है. ये कदम उन ट्रेडर्स को प्लेटफॉर्म देने का है, जहां वो बैंकों की नियम शर्तों से बिना प्रभावित हुए क्रिप्टो में व्यापार करना चाहते हैं.

WazirX के फाउंडर और चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर निश्चल शेट्टी ने मनी9 को बताया कि “मई की तुलना में ट्रेडिंग वॉल्यूम में 60 फीसदी से ज्यादा गिरावट दर्ज की गई है क्योंकि बैंकों की सपोर्ट सिस्टम के बिना बड़े ट्रांजेक्शन प्रभावित हुए हैं. दूसरा बड़ा कारण क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency) में दर्ज हुई गिरावट भी है. ये ट्रेंड किसी एक जगह नहीं बल्कि तमाम एक्सचेंज में देखने को मिल रही है.”

पीयर-टू-पीयर ट्रांसफर

जब भारतीय रिजर्व बैंक ने साल 2018 में क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंजों से निपटने के लिए बैंकों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया, तो कई एक्सचेंजों को अपनी दुकान समेटनी पड़ी थी. इसी दौरान WazirX ने एक ऑटो मैचिंग पी 2 पी इंजन बनाया था. इस मॉडल में क्रिप्टोकरेंसी के खरीदार सीधे क्रिप्टो-मुद्रा के विक्रेता को पैसा ट्रांसफर कर सकते हैं.

पारंपरिक तौर पर, आप बैंक अकाउंट से पैसा एक्चेंज को भेजते हैं और उसके जरिए क्रिप्टो करेंसी खरीदी जाती है. अब पी2पी सिस्टम के तहत कोई सीधे विक्रेता से जुड़ता है तो पैसा सीधे खरीदार के बैंक खाते में ट्रांसफर हो जाता है. और जब आप ऐसा करते हैं तो हम आपके बैंक खाते में क्रिप्टो ट्रांसफर कर देते हैं. यह एक थ्री पार्टी सिस्टम है.

बैंकों की अनिच्छा
4 मार्च 2020 में, सुप्रीम कोर्ट ने RBI के सर्कुलर को साइड करते हुए 6 अप्रैल 2018 को आदेश जारी करते हुए भारत में क्रिप्टो करेंसी (cryptocurrency) ट्रेडिंग पर लगा बैन हटा दिया. सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर के बाद कई एक्सचेंज ने दोबारा से क्रिप्टो करेंसी की ट्रेडिंग भारत में शुरू कर दी. लेकिन हाल ही में सभी बैंकों ने अपनी API सेवाओं को क्रिप्टो एक्सचेंजों (cryptocurrency exchange) के लिए बंद कर दिया, RBI के स्पष्टीकरण के बावजूद, जिसने एक्सचेंजों के कारोबार को प्रभावित किया है.

Published - July 29, 2021, 12:02 IST