Covid Protocols: हेल्थ एक्सपर्ट्स ने शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी में स्कूलों, कॉलेजों और कोचिंग संस्थानों को फिर से खोलने के दिल्ली सरकार के फैसले का स्वागत किया, लेकिन साथ ही पैरेंट्स को बच्चों को कोविड प्रोटोकॉल सिखाकर सतर्क रहने की सलाह दी. कोविड-19 की स्थिति में सुधार के बाद दिल्ली सरकार ने शुक्रवार को घोषणा की कि कक्षा 9 से 12 तक के स्कूल, कॉलेज और कोचिंग संस्थान 1 सितंबर से फिर से खुलेंगे. दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि शिक्षण और सीखने की एक्टिविटी एक साथ जारी रहेगी.
वसंत कुंज स्थित फोर्टिस अस्पताल में बाल रोग और नियोनेटोलॉजी के निदेशक डॉ राहुल नागपाल ने कहा कि स्कूलों को उचित दिशा-निर्देशों और बिल्कुल नए तरीके से खोलने की जरूरत है.
नागपाल ने कहा कि बच्चे पूरी तरह से स्कूल से दूर हो चुके हैं हमें उनकी मानसिक क्षमताओं को ध्यान में रखते हुए एहतियाती कदम उठाने होंगे. बच्चों को माता-पिता द्वारा नए माहौल के बारे में शिक्षित करना होगा.
डॉ नागपाल के मुताबिक जहां तक स्कूलों का सवाल है उन्हें कक्षाओं में उचित वेंटिलेशन सुनिश्चित करना होगा जो एक समस्या है. हाइब्रिड शिक्षा के कदम भी उठाए जा सकते हैं.
उन्होंने कहा कि स्कूलों को छात्रों के प्रवेश और निकास के लिए एसओपी (Sops) बनाना होगा और कर्मचारियों का टीकाकरण अनिवार्य करना होगा.
पीएसआरआई (PSRI) अस्पताल की डॉ सरिता शर्मा ने कहा कि स्कूलों को खोलने से पहले कर्मचारियों का कोविड-19 टीकाकरण हर हाल में होना चाहिए.
भारत में अब तक बच्चों के लिए कोई वैक्सीन नहीं है लेकिन उचित सावधानी बरतने और कोरोना वायरस-उपयुक्त व्यवहार सुनिश्चित करने के बाद, स्कूलों को फिर से खोला जा सकता है.
डॉ सरिता के मुताबिक स्कूलों के खुलने से पहले सभी शिक्षकों, देखभाल करने वालों, स्कूलों के सहायक कर्मचारियों को कोविड के खिलाफ पूरी तरह से प्रतिरक्षित किया जाना चाहिए.
पारस हेल्थकेयर में पीडियाट्रिक्स एंड नियोनेटोलॉजी के एचओडी डॉ मनीष मन्नान के अनुसार, बच्चों में अलगाव के दुष्प्रभाव कोविड संक्रमण की तुलना में कहीं अधिक गंभीर हैं.
मानसिक बीमारियां, मोटापा, आक्रामक व्यवहार, नींद संबंधी विकार और अन्य संज्ञानात्मक समस्याएं खतरनाक दर से बढ़ रही हैं, जिस पर किसी का ध्यान नहीं गया है.
माता-पिता द्वारा जरूरतों को पूरा करने की पूरी कोशिश करने के बाद भी, शारीरिक व्यायाम, ब्रेन क्विज कक्षाएं पिछले वर्ष से ही बंद पड़ी हैं. उन्होंने कहा कि बच्चों के सीखने का एक बड़ा स्रोत क्लास रूम है जो एक साल से बंद पड़ा है.
डॉ मन्नान ने कहा कि वायरस से निपटने के लिए बच्चों का मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है, और मेरा मानना है कि उनके स्वास्थ्य और पोषण का ध्यान रखते हुए हमें बच्चों को स्कूल जाने देना चाहिए. यह बच्चों के मेंटल और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा है.
राष्ट्रीय राजधानी में स्कूलों को पिछले साल मार्च में कोरोना वायरस के प्रसार के देखते हुए लॉकडाउन के आदेश से पहले ही बंद कर दिया गया था.
कई राज्यों ने पिछले साल अक्टूबर से स्कूलों को आंशिक रूप से फिर से खोलना शुरू कर दिया था, दिल्ली सरकार ने इसी साल जनवरी में केवल कक्षा 9 से 12 तक के लिए स्कूलों को दोबारा से फिर से खोलने की अनुमति दी थी लेकिन कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए सभी स्कूलों को दोबारा से बंद कर दिया गया था.