कोविड-19 की दूसरी लहर से मची तबाही केवल हेल्थकेयर तक सीमित नहीं रही है. संक्रमण के नए मामलों और महामारी से हो रही मौतों पर लगाम लगाने के लिए अलग-अलग राज्य सरकारों के लागू किए गए लॉकडाउन का असर अर्थव्यवस्था पर दिखाई देने लगा है.
महाराष्ट्र, दिल्ली और गुजरात जैसे कारोबारी लिहाज से बड़े सेंटर्स में काम-धंधों पर बुरा असर पड़ा है और इसके चलते गुजरे एक-डेढ़ महीने में इन राज्यों से प्रवासी मजदूर अपने मूल जिलों की ओर वापस पलायन कर गए हैं.
पिछले साल लॉकडाउन के चलते खत्म हुई थी नौकरियां
इन शहरों समेत दूसरी जगहों पर नौकरियों में कमी आई है और बेरोजगारी में भी इससे इजाफा हुआ है. पिछले साल कोविड-19 फैलना शुरू होने के बाद केंद्र ने लॉकडाउन लगाया और उस वक्त भी बड़े पैमाने पर मजदूरों का पलायन देखने को मिला था.
तब बेरोजगारी की दर अपने सबसे निचले स्तर पर चली गई थी.
दूसरी लहर ने फिर बिगाड़े हालात
इसके बाद इसमें रिकवरी होना शुरू हुई थी, लेकिन कोविड की दूसरी लहर ने एक बार फिर से हालात बिगाड़ दिए हैं. आंकड़ों में अब ये बात नजर आने लगी है.
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी (CMIE) के हालिया जारी आंकड़ों से देश में फिर से बेरोजगारी बढ़ने का ट्रेंड दिखाई दे रहा है.
Job losses mount in Aprilhttps://t.co/35LDO34lT7#unemploymentrate #covid19 pic.twitter.com/XgZwWOvbSv
— CMIE (@_CMIE) May 14, 2021
CMIE ने अप्रैल 2021 के लिए जारी आंकड़ों में कहा है कि पिछले साल अप्रैल में लेबर पार्टिसिपेशन रेट (LPR) 35.6 के साथ अपने निचले स्तर पर पहुंच गया था. इसके बाद इसमें कोविड की पाबंदियां हटने के साथ रिकवरी दिखनी शुरू हुई.
लेकिन, इस साल अप्रैल में ये एक बार फिर से गिरावट का शिकार हुआ है और ये 40 के अंक पर पहुंच गया है.
पिछले साल अगस्त में दिखी थी रिकवरी
गौरतलब है कि पिछले साल अगस्त में LPR रिकवर होकर 41 पर पहुंच गया था, लेकिन उसके बाद इसमें फिर से गिरावट आने लगी.
नवंबर 2020 में ये 40.1 पर आ गया. इसके बाद इसमें फिर से बढ़ोतरी हुई. लेकिन कोविड की दूसरी लहर में इसमें फिर से तेज गिरावट दिखाई दे रही है.