कोविडः मुश्किल वक्त में संवेदनशील बनें बैंक

कायदे कानून इसलिए बनते हैं ताकि हमारी जिंदगी आसान हो. इसका मकसद किसी को दुख के समय में परेशान करना कभी नहीं हो सकता?

banks, nominee, covid-19, covid deaths, compensation, money9 edit

रिजर्व बैंक ने बैंकों को ऐसे मामले में नर्म रुख रखने के लिए कहा है.

रिजर्व बैंक ने बैंकों को ऐसे मामले में नर्म रुख रखने के लिए कहा है.

COVID-19 से हुई मौतों के आंकड़ों पर भले ही अभी कई सवाल उठ रहे हैं लेकिन, हमारे आसपास कई लोगों की जानें इस महामारी से गई हैं. ऐसे में अब अनलॉकिंग के बाद अपने किसी सगे के बैंक अकाउंट को बंद करवाने के लिए लोग बैंक पहुंच रहे हैं. फाइल में डेथ सर्टिफिकेट का पन्ना जो बता रहा है कि किसी ने मां-बाप को खोया है, किसी पत्नी ने पति को और कई ऐसे मामले जिसमें दोनों मां -बाप चले गए और केवल छोटे बच्चों के लिए कोई रिश्तेदार बैंक पहुंचा है. दुख की इस घड़ी में अगर नियम-कायदे की एक लंबी-चौड़ी लिस्ट सामने रख दी जाए तो असंवेदनशीलता की सारी हदें टूट जाती हैं.

कायदे कानून इसलिए बनते हैं ताकि हमारी जिंदगी आसान हो. इसका मकसद किसी को दुख के समय में परेशान करना कभी नहीं हो सकता?

रिजर्व बैंक ने बैंकों को ऐसे मामले में नर्म रुख रखने के लिए कहा है. हर बैंक के अपने नियम हो सकते हैं, लेकिन सभी को ख्याल रखना है कि सारे प्रोसीजर कम से कम कागजात लेकर जल्द निपटाए जाएं. RBI के निर्देश के मुताबिक, पैसे निकालने की अर्जी को बैंक 15 दिन में पूरा करें.

बैंक नियम बनाएं और पालन भी करें, लेकिन क्या पीड़ा के वक्त शोक में डूबे परिवार को नियमों में उलझाए बिना काम पूरा करने का सिस्टम तैयार नहीं किया जा सकता. ये सिस्टम तभी तैयार होगा जब बैंक केवल नियमावली न छापे बल्कि कस्टमर का सामना करने वाल हर एंप्लॉयी को ऐसे मौके के लिए संवेदनशीलता से काम लेने के ट्रेनिंग भी दे. सेल्स डेडलाइन से लेकर काम पूरा करने की डेडलाइन दी जाती है, लेकिन क्या मानवीयत से पेश आने के लिए बैंक अपने कर्मचारियों को कभी कोई रिवॉर्ड देते हैं?

बैंक को केवल दो चीजों की जरूरत होती है – एक नॉमिनी का नाम और दूसरा डेथ सर्टिफिकेट. लेकिन, समस्या तब खड़ी हो रही है जब अकाउंट में नॉमिनी का नाम नहीं होता या फिर Either Or Survivor जॉइंट अकाउंट में नॉमिनी भरने पर ध्यान नहीं दिया गया और दोनों ही लोग गुजर गए. इसलिए केवल बैंक के ही नहीं अपने सारे निवेश में नॉमिनी के कॉलम को गंभीरता से भरें. ये सोचने में किताना भी बुरा क्यों न लगे, लेकिन आंखें बंद करके सोचिए कि आप इस दुनिया में नहीं रहे और केवल नॉमिनी का नाम देने की एक फॉर्मैलिटी को पूरा नहीं करने की वजह से आपका परिवार मानसिक तौर पर कमजोर वक्त में इस हालात से कैसे गुजरेगा?

Published - July 24, 2021, 08:19 IST