लॉकडाउन की वजह से निश्चित तौर पर लोगों को अपने घरों में लंबे वक्त से कैद में रहना पड़ा है और अब लोग इस ऊब को खत्म करने के लिए बैग पैक करके टूरिस्ट ठिकानों की ओर चल पड़े हैं. सामान्य हालात में हम में से कई लोगों के लिए ये ईर्ष्या की बात होगी कि हमारा कोई परिचित घूमने जा रहा है. लेकिन, ऐसे वक्त पर जबकि कोविड की दूसरी लहर अभी खत्म नहीं हुई है, इसमें जो गिरावट दिखाई दे रही है उसकी वजह ज्यादातर राज्यों में लगाई गई पाबंदियां हैं. लेकिन, अब हिल स्टेशनों की जो तस्वीरें आ रही हैं, टूरिस्ट्स का मेला और नियमों की अनदेखी नजर आ रही है, उसने गहरी चिंता पैदा कर दी है.
किसी को भी ये खुशफहमी नहीं होनी चाहिए कि देश दूसरी लहर से बाहर निकल गया है और संकट खत्म हो गया है. हर रोज होने वाली मौतों और संक्रमण के मामले भले ही घट गए हैं, लेकिन इसकी बड़ी वजह पाबंदियां रही हैं. अगर लोग एक बार फिर से भीड़ लगाना शुरू कर देंगे तो हम फिर से बड़ी तबाही को देखेंगे.
याद रखने वाली बात ये है कि वैक्सीनेशन बस शुरू ही हुआ है और अभी इसमें लंबा सफर तय करना है. इसके बाद ही देश की बड़ी आबादी इस वायरस से सुरक्षित हो पाएगी.
एक्सपर्ट अभी भी नए वैरिएंट्स के खतरों से आगाह कर रहे हैं और लगातार ये भी कहा जा रहा है कि तीसरी लहर कभी भी दस्तक दे सकती है. ये भी कहा जा रहा है कि तीसरी लहर खासतौर पर बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है.
WHO की चीफ साइंटिस्ट सौम्या स्वामिनाथन ने कहा है कि महामारी सुस्त नहीं पड़ी है और उन्होंने सामाजिक मेलजोल को इसकी चार वजहों में से एक बताया है. अब तक देश की महज 5 फीसदी आबादी को ही वैक्सीन के दोनों डोज लग पाए हैं.
जिम्मेदारी और कोविड प्रोटोकॉल का पालन ही सुरक्षित तरीके से अर्थव्यवस्था को रिकवरी की पटरी पर ला सकता है और स्वास्थ्य को भी सुरक्षित रख सकता है.
लापरवाही से केवल दूसरी लहर में तेजी ही आएगी. टूरिस्ट ठिकानों की ओर मची भगदड़ कहीं पड़े पैमाने पर तबाही में तब्दील न हो. इस तरह की लापरवाही देश पर भारी पड़ सकती है.