कोविड-19 (COVID-19) महामारी ने 84 फीसदी बेहद अमीर भारतीयों की उत्तराधिकार योजनाओं पर असर डाला है. यह इस मामले में वैश्विक औसत से ज्यादा है. एक सर्वे से इस बात का पता चला है. यह सर्वे 600 से ज्यादा निजी बैंकरों, वेल्थ एडवाइजर्स और फैमिली ऑफिसेज की प्रतिक्रिया पर आधारित है. इस सर्वे में शामिल होने वाले लोग 3.3 लाख करोड़ डॉलर से ज्यादा की संपत्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं.
नाइट फ्रैंक एटीट्यूड्स सर्वे 2021 में कहा गया है कि भारत उन टॉप चार देशों में शामिल है जहां पर बेहद अमीर लोगों ने कोविड-19 (COVID-19) महामारी को देखते हुए उत्तराधिकार को लेकर अपनी योजना का फिर से आकलन किया है.
कनाडा में करीब 90 फीसदी अल्ट्रा–हाई नेटवर्थ इंडीविजुअल्स (UHNWI) लोगों ने महामारी के दौरान अपनी उत्तराधिकार योजनाओं में बदलाव किए हैं. दूसरी ओर, तुर्की में यह आंकड़ा 85 फीसदी और दक्षिण अफ्रीका में ऐसे लोगों की संख्या 80 फीसदी है.
वैश्विक स्तर पर, करीब 60 फीसदी UHNWI ने महामारी के दौरान अपनी उत्तराधिकार की योजनाओं का फिर से आकलन किया है.
सर्वे के मुताबिक, 30 फीसदी बेहद अमीर भारतीयों ने अगली पीढ़ी को पूंजी ट्रांसफर करने को अपनी टॉप तीन चिंताओं में शुमार किया है. दूसरी ओर, 16 फीसदी रेस्पॉन्डेंट्स को यह एक उत्साहित करने वाला मौका दिखता है.
वैश्विक संदर्भ में, 28 फीसदी UHNWI ने इसे अपनी तीन प्रमुख चिंताओं में रखा है, जबकि 23 फीसदी ने इसे 2021 में एक मौके के तौर पर देखा है.
नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर शिशिर बैजल ने कहा, “वैश्विक महामारी ने पुरानी पीढ़ियों की पूंजी में ग्रोथ पर ज्यादा बुरा असर डाला है. इसके चलते उन्हें अपनी उत्तराधिकार योजनाओं को बदलना पड़ा है.”
युवा पीढ़ी अपनी पूंजी को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकती है क्योंकि वे एक अलग सोच और टेक्निकल रूप से ज्यादा मजबूत बैकग्राउंड से आते हैं.
सर्वे में कहा गया है कि 80 फीसदी भारतीय UHNWI ने कहा है कि कोविड-19 के बाद के दौर में निवेश के नए मौके उन्हें उत्साहित कर रहे हैं.