कोरोना वायरस की वैक्सीन (vaccine) अब जल्द ही बच्चों को मिल सकेगी. अगले महीने वैक्सीन (vaccine) आने के बाद स्कूली बच्चों को भी टीकाकरण में शामिल कर लिया जाएगा. यह जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने हाल ही में संसदीय समिति की बैठक में दी. बैठक में मंत्री ने कहा था कि आगामी सिंतबर महीने में बच्चों के लिए वैक्सीन (vaccine) देश को मिल जाएगी जिसके बाद इन बच्चों का टीकाकरण भी शुरू हो जाएगा.
जानकारी के अनुसार अभी बच्चों के लिए भारत बायोटेक कंपनी की कोवाक्सिन पर ट्रायल चल रहा है. दिल्ली एम्स सहित कई अस्पतालों में यह ट्रायल चल रहा है जिसके तहत अभी तक 12 से 18 वर्ष तक के बच्चों को वैक्सीन (vaccine) दी जा चुकी है. अब 2 से 6 साल तक के बच्चों को वैक्सीन दी जा रही है. इन दोनों ही आयुवर्ग में वैक्सीन देने के बाद यह देखा जाएगा कि इनमें कितनी एंटीबॉडी बन रही हैं? और कितनी सुरक्षित है?
यह परिणाम सामने आने के बाद नियमानुसार कंपनी भारत सरकार के ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया के अधीन एक्सपर्ट्स कमेटी (एसईसी) को आवेदन करेगी. यहां कमेटी की सिफारिश के आधार पर ही बच्चों की इस वैक्सीन को इमरजेंसी एप्रुवल यानी (ईयूए) देने या नहीं देने का फैसला लिया जा सकता है.
अभी एक्सपर्ट्स कमेटी ने एक वैक्सीन (vaccine) को मंजूरी नहीं दी है जिसका इस्तेमाल 12 साल तक की आयु में किया जा सकता है. इस वैक्सीन को जायडस कैडिला कंपनी ने तैयार किया है और 12 साल तक की आयु वालों पर परीक्षण भी किया है लेकिन परीक्षण परिणामों के साथ कंपनी की ओर से एक महीने पहले आवेदन दिया गया था जिस पर आज तक कोई फैसला नहीं लिया गया है.
अगर इस वैक्सीन को अनुमति मिलती है तो यह न सिर्फ बच्चों के लिए पहली वैक्सीन (vaccine) होगी बल्कि देश की दूसरी स्वदेशी और दुनिया की पहली डीएनए आधारित वैक्सीन होगी जिसकी एक व्यक्ति को तीन डोज लेना जरूरी है. अभी तक जितनी भी वैक्सीन (vaccine) दी जा रही हैं उनकी एक व्यक्ति को दो डोज लेना जरूरी होता है. जबकि कोवाक्सिन के मामले में बूस्टर डोज पर अभी अध्ययन चल रहा है. यह बूस्टर डोज कोवाक्सिन की दोनों डोज लेने के छह माह बाद ली जा सकती है.