क्लाइमेट चेंज दुनिया के लिए खतरे की घंटी, भारत में होगी भीषण गर्मी

Climate Change: आईपीसीसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण एशिया में हीटवेव और humid heat stress अधिक तीव्र, ज्यादा समय तक रहेगा.

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IMAGE: PIXABAY, रिपोर्ट में बताया गया कि एशिया में ऊंचे पहाड़ों पर जिसमें हिमालय शामिल है, 21 वीं सदी की शुरुआत से बर्फ का आवरण कम हो गया है. ग्लेशियर पतले हो गए हैं और इनका द्रव्यमान कम हो चुका है.

IMAGE: PIXABAY, रिपोर्ट में बताया गया कि एशिया में ऊंचे पहाड़ों पर जिसमें हिमालय शामिल है, 21 वीं सदी की शुरुआत से बर्फ का आवरण कम हो गया है. ग्लेशियर पतले हो गए हैं और इनका द्रव्यमान कम हो चुका है.

Climate Change: संयुक्त राष्ट्र संघ की इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) ने तेजी से हो रहे क्लाइमेट चेंज को दुनिया के लिए खतरे की घंटी बताया. IPCC ने अपनी ताजा रिपोर्ट में बताया कि कुछ वर्षों में इंडिया पर भीषण गर्मी का असर पड़ने की उम्मीद है. सोमवार को क्लाइमेट चेंज 2021 पर जारी आईपीसीसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि 21वीं सदी के दौरान दक्षिण एशिया में हीटवेव और humid heat stress अधिक तीव्र और ज्यादा समय तक रहेगा.

खतरनाक संकेत

रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में हिंदू कुश हिमालय में हिमनदों (Glacial retreat) का पीछे हटना, समुद्र के स्तर में बढ़ोतरी होना और बाढ़ की ओर ले जाने वाले तीव्र उष्णकटिबंधीय चक्रवातों (tropical cyclones) के मिश्रित प्रभाव व अनिश्चित मानसून, ये सभी घटनाएं एक खतरनाक संकेत दे रही हैं.

IPCC रिपोर्ट के मुताबिक इनमें से अधिकांश प्रभाव अपरिवर्तनीय हैं, इसलिए ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में मामूली रूप से गिरावट आने पर भी इसे दूर नहीं किया जा सकता है.

हिमनदों का पीछे हटना खतरनाक संकेत

हिन्दू कुश हिमालय में हिमनदों ( (Glacial retreat) के पीछे हटने की घटना पर वैज्ञानिकों ने काफी चिंता व्यक्त की. वैज्ञानिकों के मुताबिक इस घटना का भारत के साथ कई एशियाई देशों पर काफी गहरा असर पड़ेगा.

इससे बाढ़ आने की संभावना के साथ साथ तापमान में भी बढ़ोतरी होगी. हाल के दिनों में हिंद महासागर अरब सागर और बंगाल की खाड़ी वैश्विक औसत की तुलना में तेजी से गर्म हुआ है.

क्लाइमेट चेंज रिपोर्ट में जारी की गई महासागरों की फैक्टशीट से पता चलता है कि ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ने से हिंद महासागर में समुद्र की सतह के तापमान में 1 से 2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ोतरी हो सकती है.

ग्लेशियर के द्रव्यमान में आएगी कमी

रिपोर्ट में बताया गया कि एशिया में ऊंचे पहाड़ों पर जिसमें हिमालय शामिल है, 21 वीं सदी की शुरुआत से बर्फ का आवरण कम हो गया है. ग्लेशियर पतले हो गए हैं और इनका द्रव्यमान कम हो चुका है.

हालांकि काराकोरम ग्लेशियर ज्यादा पीछे नहीं हटे हैं. ग्लेशियर के द्रव्यमान में और ज्यादा गिरावट आने की संभावना है. आईपीसीसी ने चेताया है कि बढ़ते वैश्विक तापमान और बारिश से हिमनद झील के फटने की, बाढ़ और भूस्खलन की घटनाएं बढ़ सकती है.

भारत में हाल ही में दिखा था ग्लोबल वार्मिंग का असर

कुछ महीने पहले ही उत्तरांचल और हिमाचल प्रदेश के ऊंचे पहाड़ों में बाढ़ और भूस्खलन जैसी आपदाओं का सामना भारत ने किया है.

इसी साल 7 फरवरी को उत्तराखंड में एक ग्लेशियर के टूटने से ऋषिगंगा और धौलीगंगा घाटियों में अचानक बाढ़ आ गई, जिससे ऋषिगंगा जलविद्युत परियोजना और राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम की तपोवन विष्णुगढ़ परियोजना (Tapovan Vishnugad project) बह गई. इस हादसे में तकरीबन 200 से ज्यादा लोग मारे गए थे.

Published - August 11, 2021, 06:48 IST