Chip Shortage: चिप शॉर्टेज (Chip Shortage) की वजह से इंडियन पैसेंजर व्हीकल इंडस्ट्री के सितंबर के उत्पादन में पिछले वर्षों की तुलना में 100,000-1,10000 यूनिट की कमी आने की संभावना है. पिछले महीने की तुलना में ये लगभग दोगुना है. इकोनॉमिक टाइम्स ने उद्योग के अंदरूनी सूत्रों के हवाले से कहा कि उच्च उपभोक्ता मांग के बीच अकेले इस महीने के लिए संभावित राजस्व में 1 बिलियन डॉलर से अधिक के नुकसान का अनुमान है. यह भारतीय यात्री कार निर्माताओं के कुल राजस्व आकार (टोटल रेवेन्यू साइज) के लगभग 4% के बराबर है.
इकोनामिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक इंडस्ट्री के लिए चिप की पेंडिंग बुकिंग 400,000-500,000 तक पहुंच गई है.
इस महीने का उत्पादन 180,000 और 215,000 यूनिट्स के बीच होने की उम्मीद है, जो उन महीनों को छोड़कर लगभग एक दशक में सबसे कम होगा जब पिछले साल कोविड -19 संक्रमण को रोकने के लिए राष्ट्रीय तालाबंदी के कारण उत्पादन पर अंकुश लगाया गया था.
अनुमान के हायर एंड (Higher End) की बात करें तो यह जून 2013 के बाद से सबसे कम होगा जब उत्पादन 215,000 यूनिट्स पर था.
सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) के आंकड़ों से पता चलता है कि निचले स्तर पर, यह दिसंबर 2009 के बाद से सबसे कम होगा.
पिछले चार वर्षों में, कार निर्माताओं ने सितंबर में 278,000-343,000 यूनिट्स का उत्पादन किया. सितंबर 2020 की तुलना में इस महीने अनुमानित प्रोडक्शन 37% कम होने की संभावना है.
ऐसे में, कार निर्माता उम्मीद कर रहे हैं कि इस महीने उनकी थोक बिक्री की मात्रा लगभग 200,000 यूनिट्स होगी.
इस सप्ताह की शुरुआत में देश की प्रमुख कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी ने सितंबर के उत्पादन में 60% की कटौती का संकेत दिया था. महिंद्रा एंड महिंद्रा 25% कम उत्पादन करेगा क्योंकि उसने महीने में सात ‘नो प्रोडक्शन डेज’ की घोषणा की है.
एमएंडएम ने कहा, ‘कंपनी के ऑटोमोटिव डिवीजन को सेमीकंडक्टर्स की आपूर्ति की कमी का सामना करना पड़ रहा है, जिसे दुनिया के कुछ हिस्सों में कोविड लॉकडाउन ने और बढ़ा दिया है.’ रेनॉल्ट-निसान, फोर्ड और एमजी जैसी अन्य कंपनियां भी कम क्षमता पर ऑपरेट कर रही है.
जुलाई से सितंबर तिमाही के लिए त्रैमासिक उत्पादन 800,000 यूनिट से कम होने की संभावना है, जो FY21 की कोविड से प्रभावित पहली तिमाही को छोड़कर 26 तिमाहियों में सबसे कम है.
कम उत्पादन त्योहारी अवधि से पहले वाहन निर्माताओं के चैनल फिलिंग को नुकसान पहुंचाएगा. अक्टूबर और नवंबर में रिटेल सेल्स को बूस्ट देने के लिए कार निर्माता आमतौर पर सितंबर में चैनल इन्वेंट्री में 10-15 दिनों की वृद्धि करते हैं.
ऑटोमोटिव कंसल्टेंसी जाटो डायनेमिक्स इंडिया के अध्यक्ष रवि भाटिया ने कहा ‘वाहन निर्माता संघर्ष कर रहे हैं क्योंकि वो डिमांड में आई रिकवरी को पूरा नहीं कर पा रहे हैं. अगले कुछ महीनों में भी स्थिति कठिन रहेगी.
वित्त वर्ष 22 की अंतिम तिमाही से उत्पादन में कुछ सुधार देखने को मिल सकता है.’ भाटिया ने कहा, ‘सेमीकंडक्टर सप्लाई चुनौतीपूर्ण बनी हुई है. इससे नई और पुरानी कारों के दाम में बढ़ोतरी की संभावना है.’