चीनी स्मार्टफोन कंपनी रियलमी (Realme) पर यूजर्स के डेटा चोरी का आरोप लग रहा है..सरकार ने इसकी जांच के आदेश दे दिए हैं..अगर आप भी इस कंपनी के स्मार्टफोन का इस्तेमाल कर रहे हैं तो आपको सतर्क हो जाना चाहिए.. Realmeस्मार्टफोन्स कम कीमत में बेहतर फीचर देते हैं और ऐसा ही दूसरे चाइनीज ब्रैंड्स के साथ भी है. यही वजह है कि भारत के स्मार्टफोन मार्केट में चीनी कंपनियों का वर्चस्व है.
रिसर्च कंपनी काउंटरपाइंट (Counterpoint) की रिपोर्ट के मुताबिक कैलेंडर ईयर 2023की पहली तिमाही में देश में बिके कुल स्मार्टफोन्स में चार चीनी ब्रैंड्स वीवो (Vivo), शियोमी (Xiaomi), ओप्पो (Oppo) और रियलमी (Realme) की हिस्सेदारी 54फीसद थी.. वीवो, ओप्पो और रियलमी की पैरेंट कंपनी एक ही है- बीबीके इलेक्ट्रानिक्स और जिस इनहैंस्ड इंटेलिजेंट सर्विसेस (Enhanced Intelligent Services) फीचर की वजह से रियलमी पर डेटा चोरी के आरोप लग रहे हैं, वह बीबीके इलेक्ट्रानिक्स के सभी फोन्स में हैं.. यानी अकेले रियलमी ही नहीं बल्कि वीवो, ओप्पो और बीबीके के एक और ब्रांड वन प्लस (OnePlus) में भी ये फीचर है.
हालांकि रियलमी ने सफाई दी है कि ग्राहक का डेटा मोबाइल में ही जमा रहता है. इसका बाहर कहीं इस्तेमाल नहीं किया जाता. रियलमी से जुड़ा मामला हाल ही में सामने आया.. दरअसल ट्विटर पर एक यूजर ने रियलमी फोन्स में मौजूद इनहेंस्ड इंटेलिजेंट सर्विसेज फीचर के बारे में बताया जो बिना यूजर्स की जानकारी के उनका निजी डेटा इकट्ठा कर रहा है. हमारे फोन में कई जरूरी फीचर्स होते हैं.. स्मार्टफोन कंपनियों के मुताबिक इनहेंस्ड इंटेलिजेंट सर्विसेस भी एक जरूरी फीचर है जिसकी मदद से हमें फोन चलाने में आसानी होती है.. लेकिन अब पता चला है कि इससे यूजर्स का पर्सनल डेटा भी इकट्ठा होता है. और ये बात स्मार्टफोन कंपनियों ने आपको नहीं बताई. अगर ये फीचर यूजर्स की सहूलियत के लिए हैं तो उनसे इसकी सहमति लेना अनिवार्य होना चाहिए, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है.
सैमसंग भी कर रही डेटा चोरी?
हालांकि इस तरह से डेटा कलेक्ट करने में बस चीनी कंपनियां ही आगे नहीं है बल्कि दक्षिण कोरिया की कंपनी सैमसंग भी इस लिस्ट में शामिल है.. सैमसंग के कई फोन में भी ऐसे फीचर्स हैं. इस फोन में भी Send diagnostic dataनाम से एक डिफॉल्ट फीचर है जो हमेशा ऑन ही रहता है.. इससे आपकी जानकारी उसमें इकट्ठी होती रहती है. बहरहाल, इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई है कि स्मार्टफोन कंपनियां आखिर यूजर्स के डेटा क्यों कलेक्ट कर रही है? चूंकि मामला चीनी कंपनियों से भी जुड़ा है, ऐसे में ये नेशनल सिक्योरिटी का भी मुद्दा हो सकता है..
लोकेशन की चिंता
एक और चिंता लोकेशन ऑन करने से भी जुड़ी है..स्मार्टफोन में एक इनबिल्ट फीचर होता है, जो हमसे जुड़ी एक बेहद जरूरी जानकारी तमाम ऐप्स से शेयर करता है.. हम यहां बात जीपीएस कर रहे हैं.. जीपीएस एक्टिव रखने से ऐप्स को आप कहां जा रहे हैं, इसकी जानकारी मिलती है और वे आपके लोकेशन के हिसाब से आपको प्रोमेशन्स और टार्गेटेट ऐड्स भेजते हैं.. अब स्मार्टफोन कंपनियों के आपका डेटा चोरी करने का मामला सामने आते ही, उनके खुद के पास हर समय लोकेशन की जानकारी होने की बात को लेकर भी आपके कान खड़े हो जाने चाहिए.
इसलिए टेक का लापरवाह तरीके से इस्तेमाल करना, ऐप्स को सारे परमिशन देना और स्मार्टफोन में सेंटिंग्स में जाकर जरूरी बदलाव न करना, ये सब आपको भारी पड़ सकता है. तो तमाम बातों का ध्यान रखें.