क्या चीन के बिना नहीं चलेगा काम?

मैन्‍युफैक्‍चरिंग और एक्‍सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए कदम उठा सकती है सरकार.

क्या चीन के बिना नहीं चलेगा काम?

देश के मैन्‍युफैक्‍चरिंग और एक्‍सपोर्ट बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार जल्‍द ही चीनी इंजीनियरों और तकनीकी कर्मियों को वीजा जारी सकती है. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय निर्यातकों के उस बड़े वर्ग को वीजा दिलाने के लिए विदेश मंत्रालय के साथ बात भी करेगा जिन्‍हें अपना प्रोजेक्‍ट जल्‍दी शुरू करना है. हालांकि ऐसा माना जाता है कि चीन और भारत के बीच राजनीति से लेकर आर्थिक क्षेत्र तक कई सेक्‍टर्स में प्रतिद्वंदिता रहती है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत में कारखाने स्थापित करने और मशीनों को इंस्‍टॉल करने के लिए चीनी विशेषज्ञों की बेहद जरूरत हैं, वे इसमें मदद कर सकते हैं. इन तकनीशियनों के आने में देरी से मैन्युफैक्‍चरिंग यूनिट को स्‍थापित करने की समय सीमा बढ़ सकती है. साथ ही इसका असर मुनाफे और कार्यदक्षता पर भी पड़ सकता है. मूडीज इन्वेस्टर सर्विस ने अपनी हाल की एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत में विकास ग्‍लोबल रेटिंग से नीचे आ गया है. वहीं काफी सुधार के बावजूद लाल फीताशाही (रेड टेप) भारतीय अर्थव्यवस्था की कमजोरी बनी हुई है. यही चीज वैश्विक संदर्भ में इसकी प्रतिस्पर्धात्मकता को प्रभावित करती है.

कॉमर्स मिनिस्ट्री के एक अधिकारी के अनुसार, ‘कुछ सेक्टरों में यहां प्लांट लगाने के लिए टेक्नीशियन की जरूरत होती है और यह एक अच्छा आइडिया है क्योंकि इससे हमारे मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपोर्ट को फायदा होगा. हम इस मसले को विदेश मंत्रालय के सामने पेश करेंगे. उदाहरण के तौर पर देखें तो वीजा देने में हुई देरी से भारत की कई कंपनियाें पर इसका नकारात्‍मक असर पड़ा है. इनमें नाॅन लेदर फुटवियर और स्‍पोर्ट शूज कंपनियां भी शामिल हैं. उद्योग से जुड़े प्रतिनिधियों के मुताबिक वीजा में देरी होने से निवेश में देरी हो रही है और ये सब कुछ तब हो रहा है जब कुछ कंपनियां चीन से भारत में शिफ्ट होने की संभावना तलाश रही हैं. माना जा रहा है कि सरकार चीनी इंजीनियों और टेक्नीशियनों को जल्दी वीजा जारी करने की दिशा में शीघ्र कदम उठाएगा. मौजूदा स्थिति में अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए यह जरूरी भी है.

Published - May 26, 2023, 09:50 IST