सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बिना शादी के पैदा हुआ बच्चे को भी उसके बायोलॉजिकल माता पिता की पैतृक संपत्ति का अधिकार है. वह मिताक्षरा प्रणाली के तहत संयुक्त हिंदू परिवार में रहने वाले माता-पिता की संपत्ति में अधिकार का दावा कर सकता है. हालांकि कोर्ट ने यह भी साफ किया है कि ऐसा बच्चा माता पिता को छोड़ परिवार के किसी दूसरे सदस्य की संपत्ति का अधिकारी नहीं हो सकता.
यह फैसला भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनाया. कोर्ट के मुताबिक हिंदू विवाह अधिनियम (HAM) के तहत ऐसे बच्चे को हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के अंतर्गत एक वैध रिश्तेदार माना जाएगा. पीठ ने यह भी कहा कि हिंदी सक्सेशन एक्ट की धार 6 के अनुसार अगर प्रॉपर्टी का बंटवारा होता है तो उसमें भी सहभागी माना जाएगा.
कोर्ट ने यह निर्णय साल 2011 की एक याचिका पर दिया, जिसमें कहा गया था कि क्या अमान्य शादी से जन्मे बच्चे का अपने माता-पिता की संपत्ति में हिंदू कानून के तहत हिस्सा मिल सकता है या नहीं. बता दें हिंदू कानून के तहत अमान्य विवाह में एक पुरुष और महिला को कानूनी तौर पर पति-पत्नी का दर्जा नहीं मिलता है.