बस्तर आर्ट के जरिए अपनी पहचान बना रहा छत्तीसगढ़, लोगों को मिल रहा रोजगार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) का आत्मनिर्भर भारत के लिए वोकल फॉर लोकल का आह्वान देश के ग्रामीण इलाकों में रंग ला रहा है.

  • Team Money9
  • Updated Date - February 26, 2021, 05:03 IST
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) का आत्मनिर्भर भारत के लिए वोकल फॉर लोकल का आह्वान देश के ग्रामीण इलाकों में रंग ला रहा है. छत्तीसगढ़ का बस्तर जिला भी वोकल फॉर लोकल का प्रतीक बन चुका है. बस्तर आर्ट के नाम से मशहूर यहां का लौह शिल्प देश और दुनिया में न सिर्फ अपनी एक पहचान बना रहा है. प्रधानमंत्री (Narendra Modi) का ये आह्वान लोगों के रोजगार का जरिया भी बन रहा है.

बस्तर आर्ट का इतिहास
बस्तर लौह शिल्प का इतिहास काफी पुराना है. प्राचीन काल में यहां के स्थानीय लोग लोहे की गिट्टी और कोयले को जलाकर उसमें से लोहा बनाया करते थे और इस लोहे से कृषि के उपयोग में आने वाले औजार बनाए और देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाया करते थे. समय के साथ बस्तर की कला को नई पहचान मिली और लौह शिल्पियों की कारीगीरी जिससे बस्तर आर्ट के नाम से जाना जाता है, देश दुनिया में काफी लोकप्रिय हो गया.

बस्तर आर्ट देश दुनिया की बन रहा पसंद
यहां के शिल्पकारों की कारीगरी को देश-दुनिया में काफी पसंद किया जाता है. लौह शिल्प जिसे सिर्फ काले रंगों में बनाया जाता था, उसमें रंगों का संयोजन करके नए किस्म की कारीगरी करने लगे, जो काफी पसंद किया जा रहा है.

बाजार की मांग के अनुरूप कर रहे बदलाव
अब इन लौह शिल्प शिल्पकारों द्वारा परंपरागत शिल्प के अतिरिक्त बाजार की मांग के अनुरूप सजावटी, घरेलू उपयोग की सामग्रियां भी बनाई जा रही हैं. ऐसे ही शिल्पकार तीजू राम विश्वकर्मा बताते हैं कि उन्हें यह काम उनके पूर्वजों से मिला है. उन्होंने अपने दादा और पिता ये काम सिखा. जब वो कक्षा 8 में पढते थे तभी से इस काम में रूचि आने लगी. अपनी संस्कृति को बिना प्रभावित किए परंपरागत कला में ही उन्होंने नयेपन को शामिल किया. उन्हें भारत सरकार की तरफ से इटली, रूस, विएना सहित कई देशों में जाने का अवसर मिला, जहां उन्होंने अपनी कला का प्रदर्शन किया.

इस बारे में तीजू राम विश्वकर्मा कहते हैं कि कला का विकास हमारे उत्‍पाद बाहर ले जाने से और अधिक हुआ है. जैसे किसी प्रदर्शनी में जाते हैं और अपनी कला को लोगों के सामने प्रदर्शित करते हैं, तो वहां इस कला से और बेहतर और आकर्षक उत्‍पाद बनाने के आइडिया मिलते हैं.

इसी तरह के शिल्पकार हैं ताती राम, जो भारत के लगभग सभी हिस्सों में भ्रमण कर चुके हैं. बस एक बार उन्हें किसी कला को देखना होता है, उसके बाद उसके तकनीकी पहलू को खोज कर खुद ही उस कला का निर्माण कर लेते हैं. इन शिल्पकारों ने अपनी प्रतिभा से न केवल स्थानीय कारीगरी को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई है, बल्कि अपनी आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ की है.

Published - February 26, 2021, 05:03 IST