कोरोना महामारी की वजह से ऑनलाइन सर्च का बदला पैटर्न, जानिए अब क्‍या देखना पसंद कर रहे लोग

25 मिलियन से अधिक एडल्ट साइटें हैं जो सभी वेबसाइटों का 12% हैं और 30% से अधिक इंटरनेट ट्रैफिक को अपनी ओर आकर्षित करती हैं.

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एको, ICICI लोम्बार्ड, बजाज फिनसर्व और कुछ अन्य कंपनियां मोबाइल फोन के साथ इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के लिए ऑनलाइन इंश्योरेंस ऑफर कर रही हैं

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महामारी की वजह से बाहर निकलने पर प्रतिबंधों के चलते कई चीजों का पैटर्न बदला है. उन्हीं में से एक हैं ऑनलाइन सर्च (Online Search) का बदलता पैटर्न. मौजूदा हालात में ऑनलाइन (Online Search) पोर्नोग्राफी की खपत काफी बढ़ी है. 2021 में भारत में सबसे अधिक देखी जाने वाली 10 वेबसाइटों की लिस्ट में 5वें और 8वें स्थान पर एडल्ट कॉन्टेंट साइट्स ने अपनी जगह बनाई है, जो YouTube, Facebook, Instagram, Amazon और Twitter जैसी साइटों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं.

अप्रैल 2021 में दुनिया भर में 10 सबसे अधिक देखी जाने वाली वेबसाइटों की बात करें तो एक बार फिर से एडल्ट कॉन्टेंट साइट्स ने 8वीं और 9वीं पोजीशन पर अपना कब्जा किया. मई महीने में देखी गई टॉप 12 साइटों में दो एडल्ट वेबसाइटों ने फिर से लिस्ट में अपनी जगह बनाई और 10वें और 12वें स्थान पर रहीं.

पैनडेमिक ट्रिगर

9 जनवरी, 2000 और 25 मई, 2000 के बीच किए गए Google ट्रैंड के एनालिसिस में, यह पता चला कि होम ऑर्डर के चलते कुछ शब्दों को काफी सर्च किया गया. दुनियाभर में “पोर्न” के लिए सर्च में तेज उछाल देखने को मिला.

स्टडी के लिए पोर्नहब द्वारा जारी किए गए डाटा के स्टेटिस्टिकल एनालिसिस से पता चला है कि मार्च 2020 के अंत में, इन्फेक्शन की पहली लहर के पीक टाइम पर, “पिछले 4 सालों में औसत दिन की तुलना में टोटल ट्रैफिक में 25% की तेजी हुई थी सेक्स और ऐज ग्रुप दोनों में”

“ महामारी को फैलने से बचाने के लिए विभिन्न सरकारों द्वारा कुछ नियम लागू किए गए जिसमें सेल्फ आइसोलेशन, क्वारन्टाइन और सोशल डिस्टेंसिग शामिल हैं. जिसकी वजह से लोगों में स्ट्रैस और अकेलापन काफी हद तक बढ़ गया. बढ़ी हुई बोरियत के साथ इन नकारात्मक अनुभवों ने दुनिया भर में अश्लील सामग्री की खपत में तेजी से इजाफा किया. लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि अश्लील सामग्री के इस्तेमाल से लोगों को ना सिर्फ खुशी मिली बल्कि महामारी के कारण होने वाली असंख्य समस्याओं से अस्थायी राहत भी मिली, ”डॉ अंगना नंदी, डेवलपमेंटल साइकोलॉजिस्ट

नंदी ने बताया कि कुछ सबसे बड़े पोर्नोग्राफिक कंटेंट प्रोवाइडर्स ने अपने सब्सक्रिप्शन मॉडल में बदलाव किया और उन्हें पेड से फ्री कर दिया. इनके इस कदम ने भी प्रोर्नोग्राफी देखने में इजाफा किया.

“पोर्नोग्राफी की बढ़ती डिमांड के बावजूद, यह उम्मीद की जाती है कि एक बार सोशल डिस्टेंसिंग के हटने के बाद, हम एडल्ट कॉन्टेंट की खपत में गिरावट देखेंगे. यह गिरावट पूर्व-कोविड समय में देखी गई संख्या के समान हो सकती है, ”नंदी

बोरियत से बचो

मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि बोरियत से निपटने के लिए अक्सर लोग पोर्नोग्राफी का सहारा लेते हैं जिससे इसकी खपत बढ़ जाती है. “साइकोलॉजिकल डिस्ट्रेस के बढ़ने के चलते अक्सर पोर्नोग्राफी की खपत भी बढ़ जाती है. यह देखा गया है कि पोर्नोग्राफी देखने से बोरियत और स्ट्रैस की फीलिंग टेम्पररी रूप से कम हो सकती है. प्रतिबंधो के दौरान, जो अविवाहित है, उनके पास एक-दूसरे से मिलने का कोई तरीका नहीं है और न ही यौन इच्छाएं पूरी करने का.ऐसे में एडल्ट कॉन्टेंट के दर्शकों की संख्या में उछाल स्वाभाविक है, ”डॉ स्वागत दासगुप्ता, साइकोलॉजिस्ट एंड काउंसलर

दासगुप्ता, नंदी की तरह, सोचते हैं कि एक बार स्थिति सामान्य हो जाने के बाद, ऑनलाइन एडल्ट कॉन्टेंट की खपत फिर से महामारी के पहले वाले स्तर पर वापस आ जाएगी.

बोस्टन स्थित मनोचिकित्सक मार्टिन काफ्का ने ऊब को हाइपरसेक्सुअल बिहेवियर के लिए एक संभावित ट्रिगर के रूप में जोड़ा है और यह कि फुरसत की ऊब लोगों को पोर्नोग्राफी की ओर ले जा सकती है.

बच्चे, एक नई कॉन्सीट्यूएंसी

कोलकाता में कलकत्ता पावलोव अस्पताल की क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट जयिता साहा ने बताया कि महामारी में लॉकडाउन के दौरान बच्चों तक भी एडल्ट कॉन्टेंट ने अपनी पहुंच बनाई है.”बहुत सारे बच्चे वेब पर अश्लील सामग्री के संपर्क में आ रहे हैं, क्योंकि वो घर से स्कूल और ट्यूशन की पढ़ाई के लिए लैपटॉप कंप्यूटर, फोन और टैबलेट जैसे डिवाइस का इस्तेमाल कर रहे हैं. हम ओपीडी क्लीनिक में भी इस नए खतरे का सामना कर रहे हैं.”

साहा ने कहा, “कई बच्चों के माता-पिता महामारी के दौरान घर से लंबे समय तक काम कर रहे हैं और बच्चों की निगरानी करने वाला कोई नहीं है”

लालच, आकर्षक

पोर्न इंडस्ट्री कितनी बड़ी है? कोई निश्चित उत्तर नहीं हैं लेकिन दो साल पहले विद्वानों के लेखों ने इसे $ 100 बिलियन से ज्यादा का बताया था. जाहिर तौर पर 25 मिलियन से अधिक एडल्ट साइटें हैं जो सभी वेबसाइटों का 12% हैं और 30% से अधिक इंटरनेट ट्रैफिक को अपनी ओर आकर्षित करती हैं.

यह पैसे कैसे कमाते हैं?

सब्सक्रिप्शन और विज्ञापनों के माध्यम से पैसा कमाते हैं. सभी मुफ्त साइटें दर्शकों को “प्रीमियम” सामग्री के लालच में फंसाती हैं. जिनकी दैनिक दरें $1 से $15 तक हैं.

प्रीमियम कॉन्टेंट की सदस्यता लेने से व्यक्ति को अपने पसंदीदा “सितारों” की फिल्में देखने को मिलती हैं. फीचर फिल्मों के ट्रेलरों की तरह, कुछ वेबसाइटें दर्शकों को पूरी फिल्म देखने की पेशकश के साथ कुछ सेकंड की क्लिप पेश करती हैं. पूरी फिल्म देखने के लिए फीस होती है.

इन सब्सक्रिप्शन की रेंज सामान्य न्यूज़ मीडिया सब्सक्रिप्शन की तरह है – जितनी लंबी अवधि, उतना कम टैरिफ.
एक तीसरे टाइप का रिवेन्यू भी है. अगर कोई वेबसाइट दर्शक को दूसरी साइट पर ले जाती है, तो पहली साइट दूसरी से कुछ फीस वसूल सकती है. वेस्ट में, इनमें से कुछ वेबसाइटें सितारों के साथ फैन मीट भी अरेंज करती हैं, जहां कोई अपने पसंदीदा सितारे के साथ अपनी तस्वीरें क्लिक कर सकता है जाहिर है, यह फ्री नहीं होती है.

साइलेंट कॉन्ट्रीब्यूशन

इंटरनेट ने अब उंगलियों को आजादी दे दी है अब उन्हें चुपके से अश्लील किताबों के पन्ने पलटने या टीवी स्क्रीन पर देखने के लिए एडल्ट डीवीडी लोड करने की मेहनत नहीं करनी पड़ती है. वर्ल्ड वाइड वेब ने प्राइवेसी और आजादी को एक साथ ला दिया है. मानव जाति के एक बड़े हिस्से के लिए, लॉकडाउन वयस्क वेबसाइटों के बिना सहना और मुश्किल होता. एक मायने में, इसने सरकारों को प्रतिबंधों को लागू करने में मदद की है – एक ऐसा योगदान जिसे न डॉक्यूमेंट किया जाएगा न ही जिसे मान्यता मिलेगी.

Published - July 12, 2021, 01:48 IST