2022 में लॉन्च हो सकता है चंद्रयान-3, जानें चंद्रयान- 1 और 2 लॉन्च से जुड़ी खास बातें

इस पूरे प्रोजेक्ट की लागत 386 करोड़ रुपये थी. इस मिशन की खासियत ये थी कि चंद्रयान-1 ने चांद की सतह पर पानी के सबूत खोजे.

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भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में लगातार सफलता के साथ आगे बढ़ रहा है, लेकिन कोरोना ने काफी कुछ प्रभावित किया है. इस वजह से जहां मानव मिशन गगनयान के मानव रहित यान भी अगले साल लॉन्च किया जाएगा, वहीं चंद्रयान-3 (Chandrayaan) को भी 2022 तक लॉन्च करने की तैयारी चल रही है. इस बात की जानकारी अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने दी. उन्होंने कहा कि चंद्रयान-3 का कार्य प्रगति पर है.

2022 की तीसरी तिमाही में लॉन्च होने की उम्मीद

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि अब सामान्य कार्य आरंभ होने को देखते हुए चंद्रयान-3 के 2022 की तीसरी तिमाही में लॉन्च होने की संभावना है. उन्होंने कहा कि चंद्रयान-3 के कार्य में आकृति को अंतिम रूप दिया जाना, उप-प्रणालियों का निर्माण, समेकन, अंतरिक्ष यान स्तरीय विस्तृत परीक्षण और पृथ्वी पर प्रणाली के क्रियान्वयन के मूल्यांकन के लिए कई विशेष परीक्षण जैसी विभिन्न प्रक्रियाएं शामिल हैं.

इस दौरान उन्होंने बताया कि कोविड-19 महामारी के कारण कार्य की प्रक्रिया बाधित हो गई थी. हालांकि, लॉकडाउन अवधि के दौरान भी वर्क फ्रॉम होम मोड में सभी कार्य किए गए. अनलॉक अवधि आरंभ होने के बाद चंद्रयान-3 पर कार्य फिर से आरंभ हो गया और अब यह कार्य संपन्न होने के अग्रिम चरण में है। बता दें कि इसरो इससे पहले चंद्रयान 1 और चंद्रयान-2 चंद्रमा पर भेज चुका है.

चंद्रयान-1

22 अक्टूबर 2008 को पहले चांद मिशन के तहत चंद्रयान-1 को लॉन्च किया गया था. इसे PSLV एक्‍सएल रॉकेट के जरिये प्रक्षेपित किया गया था. इसके तहत एक ऑर्बिटर और एक इम्‍पैक्‍टर चांद की ओर भेजे गए. चंद्रयान-1 8 नवंबर 2008 को चांद की कक्षा में पहुंचा. यह मिशन दो साल के लिए था. इस पूरे प्रोजेक्ट की लागत 386 करोड़ रुपये थी. इस मिशन की खासियत ये थी कि चंद्रयान-1 ने चांद की सतह पर पानी के सबूत खोजे.

चंद्रयान-2

इसरो के वैज्ञानिकों ने 20 अगस्त 2019 को सुबह 9:02 मिनट पर चंद्रयान-2 के तरल रॉकेट इंजन को दाग कर उसे चांद की कक्षा में पहुंचाया था। उसके बाद 7 सितम्बर को चांद पर फाइनल लैंडिंग होनी थी. इसरो वैज्ञानिकों के लिए 35 किमी. की ऊंचाई से चांद के दक्षिणी ध्रुव पर इसे उतारना बेहद चुनौतीपूर्ण था. चंद्रमा पर लैंडिंग के दौरान 7 सितम्बर 2019 की रात में चंद्रमा की सतह से केवल 2.1 किमी. ऊपर चंद्रयान-2 का लैंडर विक्रम रास्ता भटककर अपनी निर्धारित जगह से लगभग 500 मीटर की दूर अलग चंद्रमा की सतह से टकरा गया, जिसके बाद से इसरो का संपर्क टूट गया. चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने बाद में लैंडर विक्रम की थर्मल इमेज इसरो को भेजी थी. इसरो वैज्ञानिकों के मुताबिक़ लैंडर विक्रम की हार्ड लैंडिंग होने की वजह से वह एक तरफ झुक गया, जिससे उसका एंटीना दब गया.

हालाकि चंद्रयान 2 के ऑर्बिटर ने 20 अगस्त 2019 को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था. तब से चंद्रयान-2 ने चंद्रमा की कक्षा में चारों ओर परिक्रमा कर रहा है. ऑर्बिटर अब भी सक्रिय है, उसके उपकरण ठीक तरह से काम कर रहे हैं. अभी भी इसमें इतना पर्याप्त ईंधन है कि वह 7 वर्षों तक ‘चंदामामा’ के चक्कर लगा सकता है.

वहीं इसरो के वैज्ञानिकों का कहना है कि चंद्रयान-2 की तरह ही है, लेकिन इसमें ऑर्बिटर नहीं होगा। चंद्रयान-2 के साथ भेजे गए ऑर्बिटर को ही चंद्रयान-3 के लिए इस्तेमाल किया जाएगा.

अनलॉक के बाद इसरो चंद्रयान-3 पर भी तैयारी कर रहा है. जाहिर है यह महत्वपूर्ण मिशन है, जो अंतरग्रहीय ‘लैंडिंग’ में भारत के लिए आगे का मार्ग प्रशस्त करेगा.

Published - July 28, 2021, 06:08 IST