सरकार की इस योजना से पशुपालकों को मिलेगी वित्‍तीय सहायता, यहां जानिए पूरी डिटेल

Central Government: इसका लाभ गांव के लोगों को मिलेगा, तो वहीं उन्हें स्थाई रोजगार उपलब्ध होगा, जिससे लोगों को आत्मनिर्भर बनने की राह आसान हो सके.

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कोई भी व्यक्ति एलआईसी न्यू जीवन आनंद पॉलिसी खरीद सकता है. इस पॉलिसी के तहत न्यूनतम मूल बीमा राशि एक लाख रुपये है. सम एश्योर्ड की कोई अधिकतम सीमा नहीं है

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मनरेगा योजना में केवल ग्रामीण मजदूरी ही नहीं बल्कि अब गाय-भैंस, बकरी और मुर्गी पालन का व्यवसाय भी कर सकेंगे. दरअसल, केंद्र सरकार (Central Government) ने मनरेगा के तहत पशु शेड योजना की शुरुआत की है, जिसे मनरेगा पशु शेड योजना के नाम से भी जाना जाता है. इसके जरिए अब ग्रामीण पशुपालकों को सरकार वित्तीय सहायता देगी. केंद्र सरकार (Central Government) की इस योजना का उद्देश्य गांव से पलायन रोकना और वहीं पर उन्हें रोजगार से जोड़ना है. इसमें ये भी जोर दिया गया है कि महिलाओं की सहभागिता अधिक रहे.

पशु शेड योजना के जरिए महिलाएं बनेंगी आत्मनिर्भर

बिहार के गोपालगंज जिले में इस योजना के लिए मनरेगा से बनने वाले शेड में महिलाएं डेयरी खोलकर अपना जीवन संवार सकती हैं. इच्छुक महिलाओं को गरीब कल्याण रोजगार योजना के तहत नि:शुल्क प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर भी बनाया जाएगा. इसी तहत जिले में 85 महिलाओं को मनरेगा के तहत शेड बनाए जाने के लिए चयन किया गया.

गौरतलब हो कि पहले मनरेगा से सड़क, तालाब, नाले आदि का काम महिला और पुरूष मजदूरों से कराया जाता था, लेकिन कोरोना महामारी के बाद सरकार ने संसोधन करते हुए मजदूरों को स्वरोजगार से जोड़ने का फैसला किया. इसके जरिए महिला और पुरुष मजदूर के अलावा सीमांत व लघु किसान शेड का निर्माण कर पशुपालन कर सकेंगे.

दो तरह का मिलेगा लाभ

इसमें दो प्रकार से लाभ मिलेगा, जिसमें 2 पशु वाले को पशु शेड के तहत भूमि पर शेड, नाद, फर्श व यूरिनल ट्रैक निर्माण पर उन्हें मनरेगा के माध्यम से 75 हजार रुपए तथा 4 पशु वाले लोगों को उक्त निर्माण कार्य के लिए एक लाख 16 हजार रुपए खर्च मिलेंगे. इसके लिए महिला और पुरूष दोनों को लाभ मिल सकेंगा.

गांव में रोजगार करना होगा आसान

इसी प्रकार बकरी पालन और मुर्गी पालन के लिए शेड का निर्माण मनरेगा से किया जा रहा है. जानकारों का कहना है कि लॉकडाउन में जो मजदूर गांव आए है. ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि और पशुपालन तथा मुर्गी पालन आजीविका का मुख्य स्त्रोत होता है। इसे बढ़ावा देने के लिए मनरेगा से पशु शेड बनवाए जा रहे हैं. इसका लाभ गांव के लोगों को मिलेगा, तो वहीं उन्हें स्थाई रोजगार उपलब्ध होगा, जिससे लोगों को आत्मनिर्भर बनने की राह आसान हो सके.

चयनित लोगों को किया जा रहा प्रशिक्षित

आरसेटी के निदेशक कृष्ण कुमार मिश्र ने बताया कि जिले के सभी प्रखंडो के कुल 45 लोगों को प्रशिक्षण पूरा करने के बाद स्वरोजगार प्रमाण पत्र दिया गया है. प्रशिक्षण लेने वाली महिलाएं तथा ग्रामीणों को डेयरी खोलने के लिए मनरेगा से शेड उपलब्ध कराया जा रहा, जो इस कार्य में सहयोग होगा. इच्छुक ग्रामीणों को दो लाख से लेकर दस लाख तक का ऋण आसान शर्त पर स्वरोजगार प्रमाण पत्र के आधार पर मिलेगा. उन्होंने बताया कि आरसेटी के माध्यम से युवक-युवतियों को डेयरी उद्योग, मुर्गी पालन सहित विभिन्न ट्रेड में प्रशिक्षण देकर उन्हें स्वावलंबी बनाया जा रहा है, जो मनरेगा से मिलने वाले शेड का उपयोग करेंगे.

Published - May 27, 2021, 06:30 IST