Jio-Airtel May Need Pay Tax: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने हाल ही में टेलीकॉम सेक्टर (Telecom Sector) से जुड़ा एक बड़ा फैसला सुनाया जिससे एयरटेल और रिलायंस को बड़ा झटका लग सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम ऑपरेटरों द्वारा भुगतान की गई लाइसेंस फीस को कैपिटल एक्सपेंडिचर माना है. यानी अब इस पर कंपनियों को टैक्स भरना पड़ेगा. कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज का अनुमान है कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद, भारती एयरटेल (Bharti Airtel) और रिलायंस जियो (Reliance Jio) को 2020-23 के लिए कुल 14400 करोड़ रुपए की टैक्स डिमांड का सामना करना पड़ सकता है, जिसमें एयरटेल को 6000 करोड़ रुपए और जियो को 8400 करोड़ रुपए का टैक्स देना पड़ सकता है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने बढ़ा टैक्स भार
द हिंदू बिजनेस लाइन की एक रिपोर्ट के मुताबिक ब्रोकरेज फर्म कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज का कहना है कि इस टैक्स डिमांड के फैसले का इन कंपनियों पर बड़ा असर पडेगा. टैक्स अधिकारी जुर्माने के साथ इस अवधि के लिए टैक्स भुगतान में कमी की डिमांड कर सकते हैं. यानी इन कंपनियों को मोटी रकम चुकानी पड़ सकती है. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि 1999 की न्यू टेलीकॉम पॉलिसी के तहत एंट्री फीस के साथ-साथ वेरिएबल एनुअल लाइसेंस फीस के भुगतान को कैपिटल एक्सपेंडिचर माना जाना चाहिए और इसे आयकर अधिनियम की धारा 35एबीबी के तहत ट्रीट किया जाना चाहिए. इससे पहले दिसंबर 2013 में दिल्ली हाई कोर्ट ने एनुअल लाइसेंस फीस को रेवेन्यू एक्सपेंडिचर माना था, लेकिन बाद में फिर सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को रद्द कर दिया.
टेलिकॉम कंपनियों को झटका
दरअसल, अभी तक टेलीकॉम कंपनियां लाइसेंस शुल्क को एक खर्च रूप में लेती है, जिससे इन्हें इस पर टैक्स छूट मिल जाती है. यानी इन्हें टैक्स में बचत हो जाती है. अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, लाइसेंस शुल्क को कैपिटल एक्सपेंडिचर माना जाएगा, जिसमें उस अवधि के लिए लाइसेंस शुल्क को वसूलने का प्रावधान होगा जिसके लिए लाइसेंस दिया गया था. इससे टेलिकॉम कंपनियों पर टैक्स का भार बढ़ जाएगा.