Bank Sakhi Scheme: महिलाएं आर्थिक रूप से हो रहीं सक्षम, मिल रहा रोजगार

Bank Sakhi Scheme: बैंक सखी योजना को आए कई वर्ष हो गए हैं, लेकिन कोरोना काल में इसकी काफी अहमियत देखने को मिली.

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Picture: Pixabay - टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी में केवल नॉमिनी का नाम जोडने से यह सुनिश्चित नहीं होता कि आपके लाभार्थी नामांकित व्यक्ति (पत्नी और बच्चों) को आपकी मृत्यु के बाद सम एश्योर्ड मिल ही जाएगी.

Picture: Pixabay - टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी में केवल नॉमिनी का नाम जोडने से यह सुनिश्चित नहीं होता कि आपके लाभार्थी नामांकित व्यक्ति (पत्नी और बच्चों) को आपकी मृत्यु के बाद सम एश्योर्ड मिल ही जाएगी.

Bank Sakhi Scheme: देश और प्रदेश के विकास के लिए केंद्र एवं राज्‍य सरकारों की ओर से तमाम योजनाएं चल रही हैं. उनमें से महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए भी कई योजनाएं हैं, जिनसे जुड़ कर आज ग्रामीण इलाकों की महिलाएं भी स्वावलंबी बन रही हैं. ऐसी ही एक योजना बैंक उन लोगों के लिए लेकर आई, जो कस्‍बाई एवं देहाती जीवन जीते हुए आर्थ‍िक रूप से सम्‍पन्‍न होना चाहते हैं और आगे बढ़ने की उनकी अपनी गंभीर ललक है. बैंक सखी योजना को आए कई वर्ष हो गए हैं, लेकिन कोरोना काल में इसकी काफी अहमियत देखने को मिली.

बैंक सखी कार्यक्रम बना रहा महिलाओं को आर्थिक सक्षम

दरअसल, हम यहां बैंक सखी कार्यक्रम की बात कर रहे हैं, जिसने ऐसे कई उदाहरण दिए हैं, जो आज हम सभी के सामने आगे बढ़ने के सशक्‍त माध्‍यम हैं. इन्‍हीं में से एक हैं मध्‍य प्रदेश के भोपाल संभाग के राजगढ़ जिले की ज्योति, जिन्‍हें आजीविका मिशन के बैंक सखी कार्यक्रम ने हीरो बना दिया है. इन्‍होंने न केवल आय अर्जित की है, बल्कि यह अपनी पढ़ाई को भी आगे बढ़ाने में कामयाब हुई. एमए करने के बाद वर्तमान में अब उनकी एलएलबी की पढ़ाई जारी है. ज्योति ने कोरोना के इस संकटकालीन समय में एक करोड़ का ट्रांजैक्शन भी किया, जिससे उनकी एक नई पहचान यहां बैंक सखी के रूप में सभी के सामने आई है. वे आज इस माध्यम को अपनाकर अपने सपनों की उड़ान को नई ऊंचाइयों तक ले जा रही हैं.

रुपयों के लिए अब नहीं रहना होता किसी के भरोसे

ज्योति बताती हैं कि कभी 10 रुपये के लिए माता-पिता का मुंह देखती थीं, लेकिन ज्योति अब खुद 40 हजार की मासिक आय पाने वाली हो गई है क्‍योंकि ज्योति अब बैंक सखी के रूप मे कार्य कर रही हैं. वह कहती हैं पापा को जरूरत हो तो अब वह मुझसे पैसे ले लेते हैं. शुरुआत में मुझे लगता था कि काम कैसे होगा ? मैं सफल हो पाउंगी या नहीं ? बातचीत का भी बहुत संकोच रहता था कि मैं सही बात कह रही हूं, कहीं मेरी कही बातों को लोग गलत ढंग से ना ले लें, किंतु जब इस दिशा में मैंने प्रशिक्षण लिया तो मेरे लिए सभी कुछ आसान हो गया.

तनख्वाह से अधिक मिल रही कमीशन की राशि

ज्योति यह भी कहती हैं कि कई बार तो बैंक वाले तक कह देते हैं कि जितना कमीशन तुम्हें मिलता है, इतनी तो हमारी तनख्वाह भी नहीं होती है. गांव वालों से मिल रहे इस सम्मान से भी ज्योति खासी उत्साहित है.

आजीविका मिशन के माध्यम से किया था बैंक सखी का प्रशिक्षण प्राप्त

बता दें कि अपनी मां के देव नारायण समूह में बुक कीपर का काम करने वाली ज्योति ने आजीविका मिशन के माध्यम से बैंक सखी का प्रशिक्षण प्राप्त किया था. स्वरोजगार योजना के तहत ऋण प्राप्त कर ज्योति ने लैपटॉप खरीदा तथा मध्य प्रदेश ग्रामीण बैंक की भ्याना ब्रांच से जुड़कर काम शुरू किया. अब वह आसपास के छह ग्राम में बैंकिंग सुविधा उपलब्ध करा रही है. उसके पास खुद के दो लैपटॉप और स्कूटी है.

बैंक सखी के रूप में 31 हजार तक की आय अर्जित कर मनिहारी की दुकान से छह से लेकर नौ हजार तक की आय अर्जित कर रही है. इस तरह से वे हर माह 40 हजार तो कभी इससे भी अधिक की आय अर्जित करने में सफल हो रही हैं.

Published - June 25, 2021, 07:55 IST