बैंक कर्मचारियों ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के उस फैसले का विरोध शुरू कर दिया है, जिसमें आरबीआई ने बैंकों को छूट दी है कि वे मर्जी से डिफॉल्ट घोषित करने वालों (Wilful Defaulters) के लोन सेटल कर सकेंगे. बैंक कर्मचारियों के दो संगठनों, यानी ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कॉनफेडरेशन (AIBOC) और ऑल इंडिया बैंक कर्मचारी संगठन (AIBEA) ने रिजर्व बैंक के इस फैसले की आलोचना करते हुए इसे नुकसानदेह बताया है. दोनों संगठनों ने कहा है कि फैसले से देश की बैंकिंग व्यवस्था की साख खराब होगी. बैंक कर्मचारियों के दोनों संगठनों का दावा है कि उनके साथ 6 लाख से ज्यादा बैंक कर्मी जुड़े हुए हैं.
पिछले हफ्ते RBI ने सभी बैंकों को विलफुल डिफाल्टरों के कर्जों को सेटल करने के लिए सर्कुलर जारी किया है, सर्कुलर के तहत कर्ज अदायगी में अपनी मर्जी से डिफॉल्ट यानी विलफुल डिफॉल्ट या फ्रॉड करने वाले लोग और कंपनियां संबंधित बैंक या फाइनेंस कंपनियों के साथ सेटलमेंट के लिए समझौता कर सकेंगे. रिजर्व बैंक के सर्कुलर में यह भी कहा गया है कि जिस विलफुल डिफॉल्टर या कंपनी के साथ कर्ज की सेटलमेंट के लिए समझौता होगा, उसे कम से कम अगले 12 महीने के लिए बैंक या फाइनेंस कंपनी से कर्ज नहीं मिलेगा. यानी एक साल के बाद विलफुल डिफॉल्ट या फ्रॉड करने वाली कंपनी या व्यक्ति फिर से बैंक से लोन लेने का हकदार हो जाएगा.
RBI के इस फैसले की आलोचना करते हुए बैंक कर्मचारियों के संगठनों ने कहा है कि फैसला उन लोगों को कर्ज लेने के लिए बढ़ावा देगा जो कर्ज लेकर फ्रॉड करते हैं और चुकाते नहीं, साथ में फैसला उन ईमानदार ग्राहकों के साथ भी धोखा होगा जो अपनी जरूरत पूरा करने के लिए बैंक से कर्ज लेते हैं और समय पर पूरा पैसा लौटाते हैं. बैंक कर्मचारियों के संगठनों का कहना है कि RBI के फैसले से देश के बैंकिंग सिस्टम में जनता का भरोसा कम होगा और बैंकों पर जमाकर्ताओं का भरोसा भी घटेगा.
फैसले पर विचार करने की मांग
बैंक कर्मचारियों का कहना है कि विलफुल डिफॉल्टरों के साथ लोन माफी का समझौता उनके किए गलत काम को नजरंदाज करना है और उनके फ्रॉड का बोझ सामान्य नागरिकों तथा बैंक कर्मचारियों के ऊपर पड़ेगा. कर्मचारियों ने रिजर्व बैंक से इस फैसले पर नए सिरे से विचार करने की मांग की है और कहा है कि विलफुल डिफॉल्टर्स को छूट देने के बजाय उनके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाने चाहिए. कर्मचारियों ने RBI से मांग की है कि सभी विलफुल डिफॉल्टर्स की लिस्ट को सार्वजनिक किया जाए तथा ईमानदार कर्जदारों और जमाकर्ताओं के हितो की रक्षा की जाए.