शिवम ने अपनी शुरुआती पढ़ाई बिहार के मुजफ्फरपुर से की है लेकिन कुछ साल पहले उनके पिता की नौकरी कोलकाता में लग गई तो पूरा परिवार कोलकाता में शिफ्ट हो गया. शिवम ने यहां ग्रेजुएशन में B.Sc किया और सरकारी नौकरी की तैयारी में जुट गए. वो केंद्र के साथ बंगाल सरकार की नौकरियों में भी अप्लाई कर रहे थे लेकिन अब उनके सामने एक नई मुसीबत खड़ी हो गई है. दरअसल बंगाल सरकार की नौकरियों के लिए उन्हें बांग्ला आना ज़रूरी है. बांग्ला सरकार ने राज्य सरकार की नौकरियों में हिंदी, संथाली और उर्दू को खत्म कर बांग्ला भाषा का पेपर अनिवार्य कर दिया है. पहले इसे पुलिस में ज़रूरी किया गया फिर इसके बाद 15 मार्च, 2023 को राज्य सरकार ने सरकारी अधिकारियों की नियुक्ति में भी बांग्ला अनिवार्य करने को नोटिफिकेशन निकाल दिया. अब पश्चिम बंगाल के इलाक़े में रह रहे ऐसे कई हिंदी भाषी जो यहीं राज्य सरकार में नौकरी करने का सपना देख रहे थे वो धुंधला पड़ गया है.
मुश्किल ये भी है कि सरकारी नौकरियां में लगातार कटौती हो रही है. केंद्र में 11 लाख तो सार्वजनिक उद्यमों में 4 लाख पद खाली पड़े हैं. अब यह गारंटी भी नहीं है कि ये सभी पद भरे जाएंगे या नहीं. 2012-13 से 2021-22 की अवधि के लिए हाल ही में प्रकाशित सार्वजनिक उद्यम सर्वेक्षण रिपोर्ट से पता चलता है कि केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों, सरकारी निगम और सरकारी सहायक कंपनियां, जो 17 लाख 30 हज़ार लोगों को नौकरियां प्रदान कर रहे थे अब मार्च 2022 के दौरान घटकर वह संख्या 14 लाख 60 हज़ार रह गई है. 389 सीपीएसयू में एक सर्वेक्षण किया गया था। इनमें से 284 उद्यम अभी भी चालू हैं। इनकी नौकरियों में 2.7 लाख से अधिक की भारी गिरावट आई है। एआईटीयूसी के राष्ट्रीय सचिव और अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के महासचिव सी.श्रीकुमार केंद्र में अकेले रक्षा मंत्रालय के सिविल पदों की बात करें तो 2.9 लाख पद खाली पड़े हैं. ऐसा नहीं है कि इन विभागों में काम कम हो गया है, बल्कि पहले के मुकाबले काम कई गुना बढ़ा दिया गया है. अरअसल अब आउट सोर्सिंग, ठेका श्रमिकों की तैनाती और आकस्मिक और दैनिक वेतन भोगी श्रमिक आदि के माध्यम से स्टाफ की कमी को पूरा किया जा रहा है.
उधर देश की सबसे बड़ी आई टी कंपनियों में से एक टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज में नौकरी देने के नाम पर 100 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है. पता चला है कि कंपनी में कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए जिम्मेदार कुछ सीनियर अधिकारी सालों से उम्मीदवारों को नौकरी देने के बदले में स्टाफिंग फर्मों से रिश्वत ले रहे थे. इस मामले का खुलासा तब हुआ जब इस संबंध में कंपनी के CEO और COO को एक शिकायती पत्र मिला. इसके बाद कंपनी ने 3 अधिकारियों की जांच के लिए टीम बनाई और जांच के बाद TCS ने अपने रिक्रूटिंग हेड को छुट्टी पर भेज दिया. साथ ही अपने रिसोर्स मैनेजमेंट ग्रुप (RMG) के 4 सीनियर अधिकारियों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया और तीन स्टाफिंग फर्मों को ब्लैकलिस्ट कर दिया.