शहरों में बेबी कॉर्न की खूब हो रही डिमांड, इस तरह आप कर सकते हैं मोटी कमाई

Baby Corn मक्का की कोई अलग से किस्म नहीं है बल्कि जब भुट्टे में दाने बनने वाले हों या दाने बनने शुरू हुए हों तब इसे बेबीकॉर्म कहते हैं.

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शहरों में इन दिनों बेबी कॉर्न (Baby Corn) की डिमांड खूब हो रही है. लोग इसे खूब पसंद कर रहे हैं. ऐसे में बेबी कॉर्न (Baby Corn) का व्‍यवसाय कर आप भी मोटी कमाई कर सकते हैं. वहीं किसानों के लिए भी बेबी कॉर्न (Baby Corn) की खेती में अच्‍छा मुनाफा कमाने का मौका है. बेबी कॉर्न (Baby Corn) की कैसे हो रही है इतनी मांग और इसकी खेती से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के बारे में जानते हैं.

बेहद पोषक होता है बेबी कॉर्न
दरअसल बेबी कॉर्न (Baby Corn) मक्का की कोई अलग से किस्म नहीं है बल्कि जब भुट्टे में दाने बनने वाले हों या दाने बनने शुरू हुए हों तब इसे बेबीकॉर्म कहते हैं. इसका प्रयोग सलाद के साथ-साथ सब्जी, घी और हलवे में भी होता है. बाजार में बेबी कॉर्न की काफी मांग है, ये अमेरिका, यूरोप और दक्षिण एशिया में काफी मशहूर है. अब भारत के भी शहरी इलाकों में भी इसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है. यही वजह से भारत में इसकी (Baby Corn) खेती मुख्य रूप से शहरों से सटे इलाकों में होती है. ये काफी पोषक भी है शायद इसलिए इसकी मांग अधिक है.

अगर बेबी कॉर्न (Baby Corn) की खेती की बात करें तो सामान्य मक्का की खेती की तरह ही होती है, लेकिन इसे दो तरह से उगाया जाता है. आदर्श अवस्था में एक हेक्टेयर में 58 हजार पौधे लगाए जाते हैं, इस पद्धति में स्वीट और बेबी कॉर्न दोनों ही प्राप्त होते हैं. दूसरी पद्धति में एक हेक्टेयर जमीन पर पौधों की संख्या पौने दो लाख के करीब होती है. इसमें तमाम भुट्टे बेबी कॉर्न के रूप में इस्तेमाल किए जाते हैं.

बेबी कॉर्न की खेती से जुड़ी मुख्य बातें
– एक हेक्टेयर जमीन पर 20-30 किलो बीज की जरूरत होती है
– एक हेक्टेयर के लिए डेढ़ से दो क्विंटल नाइट्रोजन तीन बार में डालना होता है
– फसल 50-60 दिन में तैयार हो जाती है
– तुड़ाई पर खास ध्यान देने की जरूरत होती है, क्योंकि भुट्टा बहुत तेजी से बढ़ता है और जितना जल्दी हो सके बाजार भेज देना चाहिए
– सुबह का समय तुड़ाई के लिए उपयुक्त होता है
– पौधों में बाल यानी झंडा निकलते ही तोड़ दें और तीन दिन में एक बार तुड़ाई करनी चाहिए
– एक फसल के लिए औसतन 7-8 तुड़ाई पर्याप्त होती है
– एक हेक्टेयर में 15-19 क्विंटल तक बेबी कॉर्न हो सकती है
– भुट्टे तोड़ने के बाद पौधे को हरे चारे के रूप में प्रयोग किया जा सकता है या इसे बेच कर अतिरिक्त आमदनी की जा सकती है
– एक हेक्टेयर से किसान को 250 से 400 क्विंटल तक हरा चारा मिल सकता है

दिल्ली के आसपास के इलाकों में किसानों बेबी कॉर्न प्रसंस्करण के संयंत्र भी लगाए हैं. प्रसंस्करण के बाद बेबी कॉर्न के दाम भी अच्छे मिलते हैं और इसे लंबे समय तक भंडारण किया जा सकता है.

Published - April 9, 2021, 12:29 IST