Ashwini Vaishnaw: बुधवार को हुए केंद्रीय मंत्रिपरिषद के विस्तार में 43 नए चेहरे शामिल हुए हैं. पार्टी के जमीन स्तर पर काम करने वाले नेताओं को अब मोदी कैबिनेट में अहम भूमिकाएं दी गई हैं. नए रेल और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री बने अश्विनी वैष्णव भी एक ऐसा ही नाम हैं. अश्विनी वैष्णव का इंटरव्यू Money 9 ने फरवरी में बजट आने के ठीक बाद किया था. बजट को आसान भाषा से समझाने के मकसद से हमने अश्विनी वैष्णव से बात की थी. ऐसे में बुधवार को जब उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी कैबिनेट में जगह दी तो इसमें अचरज जैसी कोई बात नहीं थी.
वैष्णव की काबिलियत उनके साथ बातचीत से ही पता चल जाती है. भले ही वे IIT से पढ़े हैं और IAS रहे हैं, लेकिन उनका जमीन के साथ जुड़ाव उनकी बातों से साफ नजर आता है. इसी वजह से मोदी सरकार में अब एक बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है.
1994 बैच के IAS हैं अश्विनी
उड़ीसा से राज्यसभा सांसद अश्विनी वैष्णव 1994 बैच के IAS अधिकारी रहे हैं. बालासोर में आए समुद्री तूफान में इनके प्रबंधन की सराहना हुई थी. इन्होंने IIT- कानपुर से M. Tech और अमेरिका के पेंसिलवेनिया विश्वविद्यालय के व्हार्टन स्कूल से MBA किया है.
जमीन से जुड़े शख्स
लेकिन, जब आप उनसे मिलेंगे तो ये आपको बताते हुए झिझकेंगे नहीं कि उनकी मां कैसे कोयले के चूल्हे में खाना बनाया करती था. अश्विनी मूलत: जोधपुर के पास जीवंद काल हाल के रहने वाले हैं. लेकिन, ओडिशा पहली पोस्टिंग रही और यहां से खास लगाव भी दिखता है. उन्होंने ट्वीट पर भगवान जगन्नाथ का आशीर्वाद लिया.
I seek the choicest blessings of Lord Jagannath to serve the people of Odisha. 🙏🙏
Jay Jagannath.— Ashwini Vaishnaw (@AshwiniVaishnaw) July 7, 2021
नब्ज पर पकड़
बजट के ठीक बाद हम इसे आसान भाषा में समझना चाहते थे और हमें इसके लिए अश्विनी वैष्णव सबसे उपयुक्त जानकार लगे थे.
किसी तरह की टैक्स छूट नहीं देना वाला बजट 2021 पहली नजर में एक रूखा बजट दिख रहा था. इसी सवाल को लेकर हम अश्विनी के पास पहुंचे.
हमने पूछा कि क्या इस बजट को कोविड काल का बजट मानकर आम आदमी को संतोष कर लेना चाहिए कि सरकार के झोली में उनके लिए कुछ नहीं है?
इस पर वैष्णव ने कहा कि ये बजट सबके बटुए का ख्याल रखने वाला बजट है. जेब में अगर टैक्स छूट नहीं पहुंची तो किसी नए टैक्स या सेस ने जेब भी नहीं काटी. अगर रेल और रोड पर सरकार खर्चा करती है तो वो लंबे समय से लेकर छोटे समय के लिए कई रोजगार का रास्ता खोलती है. हम उंची इमारतों को देखकर विकास मानते हैं लेकिन उस इमारत में दरवाजे , खिड़कियां और एक चाबी बनाने वाले तक को काम मिलता है.
फाइनेंस के जानकार
फाइनेंस के बैकग्राउंड के होने की वजह से वैष्णव अर्थव्यवस्था को खूब समझते हैं और ये भी कि इसे आसान भाषा में समझाना जरूरी है.
अश्विनी महसूस करते हैं कि अर्थव्यवस्था से जुड़ी बात इतनी आसानी से की जानी चाहिए कि आठवीं में पढ़ने वाले को भी समझ आए. जैसे कि उन्होंने GDP की तुलना रेल के इंजन से की और कहा कि खपत, सरकारी खर्च, निवेश और एक्सपोर्ट ये GDP के चार इंजन हैं जिनके बीच तालमेल जरूरी है.
हाशिये पर मौजूद तबके की फिक्र
वैष्णव को लगता है कि सबसे नीचे के तबके को जब तक ऊपर उठाने के लिए काम नहीं होगा, तब तक देश आगे नहीं बढ़ेगा. इसलिए रेहड़ी वालों से लेकर प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) जैसी स्कीम को वो महत्वपूर्ण मानते हैं. रेलवे फ्रेट कॉरिडोर जैसे प्रोजेक्ट जब तैयार होते हैं तो इसकी जितनी लंबाई होती है उसके हर किलोमीटर पर हजारों रोजगार मिलते हैं. रोजगार और खपत जुड़े हुए हैं और इन दोनों को सरकारी नीति का मुख्य लक्ष्य मानते हैं.