मौजूदा बुल रन निवेशकों को पैसा कमाने का एक शानदार मौका दे रहा है. खासकर ऐसे समय में जब दलाल स्ट्रीट में IPO की भरमार है. चालू कैलेंडर वर्ष के पहले सात महीनों में 30 कंपनियों ने आईपीओ के जरिए 53,590 करोड़ रुपये जुटाए हैं. इनमें से सात मल्टी-बैगर निकले, जिनमें इश्यू प्राइस की तुलना में 100% से अधिक की उछाल दर्ज हुई. आईपीओ जिस तरह का रिटर्न दे रहे हैं, उससे आईपीओ को लेकर लोगों में भारी आकर्षण पैदा हो गया है. IPO की भरमार के बीच निवेशक को एक विवेकपूर्ण रणनीति अपनानी होगी.
आज चार कंपनियां 3,600 करोड़ रुपये से अधिक राशि जुटाने के लिए अपना आईपीओ लेकर आ रही हैं. पिछले आईपीओ के प्रदर्शन को देखते हुए, कई निवेशक कंपनी के बारे में सीमित या कुछ भी जानकारी नहीं होने के बावजूद सभी आईपीओ के लिए आवेदन करने के लिए तैयार हैं. यह एक अच्छी रणनीति नहीं है, क्योंकि गलत कंपनियों में निवेश करने से आपका पैसा डूब सकता है.
ब्रुकफील्ड इंडिया रियल एस्टेट ट्रस्ट आरईआईटी, इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉरपोरेशन, कल्याण ज्वैलर्स इंडिया और सूर्योदय स्मॉल फाइनेंस बैंक जैसी हाल ही में सूचीबद्ध कंपनियों का मामला लें, तो पता चलता है कि ये ऐसे समय में भी अपने इश्यू प्राइस से काफी नीचे हैं, जब निफ्टी 16,000 का आंकड़ा पार कर चुका है.
निवेशकों को यह चुनने के लिए एक विवेकपूर्ण रणनीति अपनाने की जरूरत है कि किस आईपीओ को सब्सक्राइब करना है और किसको नहीं करना है. ऐसी रणनीति तैयार करने में पहला कदम यह जानना है कि कंपनी किस तरह के व्यवसाय में शामिल है. आपको आदर्श रूप से उन कंपनियों को प्राथमिकता देनी चाहिए, जो एक ऐसे व्यवसाय में हैं, जिसमें उच्च विकास क्षमता हो. इससे कंपनी को लगातार मुनाफा कमाने और अपने राजस्व में वृद्धि करने में मदद मिलती है. जिन कंपनियों की कारोबारी गतिविधियां अस्पष्ट हैं, उनके आईपीओ में निवेश से बचना चाहिए.
दूसरा कदम कंपनी की वित्तीय स्थिति की जांच करना है और यह पता लगाना है कि कंपनी प्रॉफिटेबल है या नहीं. साथ ही यह भी देखना होगा कि कंपनी का राजस्व कैसे बढ़ रहा है. आईपीओ में निवेश करने का निर्णय लेने से पहले निवेशक को कंपनी के प्रमुख वित्तीय अनुपात जैसे डेट टू इक्विटी, प्रति शेयर आय (ईपीएस), नकदी प्रवाह, नियोजित पूंजी पर रिटर्न और अन्य प्रमुख वित्तीय अनुपातों की जांच कर लेनी चाहिए. अगर कंपनी को घाटा हो रहा है या उसकी वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है, तो आईपीओ में निवेश करने से बचें.
कंपनी से जुड़े विभिन्न जोखिम कारकों से अवगत होने और उसी क्षेत्र की अन्य कंपनियों के साथ इसकी तुलना करने से निवेशक को यह पता लगेगा कि आईपीओ के लिए आवेदन करना है या नहीं. पुराने आईपीओ या ग्रे मार्केट प्रीमियम में दिए गए भारी रिटर्न के बहकावे में न आएं. इसके बजाय सेबी की वेबसाइट पर उपलब्ध रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस को देखें और एक समझदारी भरा निवेश करें.