Airline Fares: कोरोना महामारी के कारण भारी नुकसान का सामना कर चुकीं एयरलाइन्स एक बार फिर से पटरी पर लौटने के लिए हर संभव कोशिश कर रही हैं. वहीं लंबे समय बाद एयरलाइन्स को सौ फीसदी क्षमता के साथ परिचालन की अनुमति दी गई है. हालांकि इसके बावजूद भी एयरलाइन्स को नुकसान का सामना करना पड़ सकता है. एयरलाइन्स को होने वाले इस नुकसान का सबसे बड़ा कारण किराया कम होना बताया जा रहा है. केंद्रीय उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गुरुवार को एक बयान मे कहा है कि यदि डोमेस्टिक एयर ट्रैवल के लिए किराए की सीमा नहीं बढ़ाई गई तो भारत में एविएशन कंपनियों को चलाने में परेशानी पैदा हो जाएगी. उन्होंने कहा कि तेल (ईंधन) की कीमत पिछले आठ महीनों में 22 डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर 85 डॉलर प्रति बैरल हो गई है. देश में एविएशन कंपनियों की कुल लागत संरचना में एविएशन फ्यूल (एटीएफ) की हिस्सेदारी लगभग 40 प्रतिशत है.
इस साल 12 अगस्त से महंगा हो गया था हवाई सफर
बता दें कि डोमेस्टिक एयर ट्रैवल इस साल 12 अगस्त को महंगी हो गया था, जब उड्डयन मंत्रालय ने घरेलू किराए पर निचली और ऊपरी सीमा को बढ़ा दिया था.
मंत्रालय ने 40 मिनट तक की अवधि वाली उड़ानों के लिए निचली सीमा को 2,600 रुपये से 11.53 प्रतिशत बढ़ाकर 2,900 रुपये कर दिया और इसी के साथ इन उड़ानों के लिए ऊपरी सीमा को 12.82 प्रतिशत बढ़ाकर 8,800 रुपये कर दिया था.
पिछले आठ महीनों में तेल की कीमतें बढ़ीं
सिंधिया ने कहा कि देखिए FTA की कीमतों का क्या हुआ है. पिछले आठ महीनों में तेल की कीमतें 22 डॉलर प्रति बैरल बढ़कर 85 डॉलर हो गई हैं. इसलिए, विमानन कंपनियों की लागत चार गुना बढ़ गई है.
इस पर 11 प्रतिशत का उत्पाद शुल्क और राज्य सरकारों द्वारा एक प्रतिशत से 30 प्रतिशत के बीच का VAT लगाया जाता है. एक विमानन कंपनी कैसे जीवित रहेगी, जब तक कि वह (FTA) किफायती नहीं हो जाता?
विमानन मंत्रालय द्वारा किराया सीमा बढ़ाने का कारण यह है कि कच्चे माल की कीमतों में 400 प्रतिशत की बढ़ोतरी होने पर विमानन कंपनियों को कुछ राहत दी जानी चाहिए.