Air India पर लगाई बोली जीतने के बाद टाटा संस ने एक बार फिर सरकार का दरवाजा खटखटाया है. टाटा संस ने सरकार से संपर्क कर Air India को दोबारा सुचारू रूप से चलाने के लिए नियामक प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए कहा है. नियामक प्रक्रिया के जानकारों के मुताबिक टाटा संस ये एश्योरेंस चाहता है कि जब तक जरूरी प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती तब तक एयर क्राफ्ट्स के संचालन की अनुमति दी जाए. बता दें कि बोली जीत कर एयर इंडिया अधिग्रहित करने के बाद अब उसके संचालन से पहले टाटा संस को डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन से (DGCA) सभी जरूरी अप्रूवल लेने होंगे. टाटा संस इसी प्रक्रिया को आसान और तेज बनाना चाहते हैं. सरकार ने भी जल्द से जल्द अप्रूवल देने का आश्वासन दिया है. फाइनल अप्रूवल आने तक DGCA एक एक्जीक्यूटिव ऑर्डर देगा, ताकि प्लेन्स को खड़े न रहना पड़े और एयरलाइन्स का संचालन शुरू हो सके.
वर्तमान में टाटा ग्रुप दो अलग अलग एयरलाइन्स का संचालन कर रहा है. जिसमें से एक है विस्तारा और दूसरी है एयर एशिया इंडिया.
अब इनके अलावा टाटा ग्रुप ने हाल ही में बोली जीत कर दो और एयरलाइन्स पर अधिकार हासिल कर लिया है. जिसमें एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस शामिल है.
एयरक्राफ्ट रूल्स, 1973 के अनुसार, भारत में नागरिक उड्डयन के नियमों के तहत किसी भी रजिस्टर्ड एयरक्राफ्ट के मालिकाना हक में बदलाव होने पर, नए ओनर को DGCA को इसकी जानकारी देनी होगी.
ऐसी एप्लीकेशन दिए जाने और फिर उसका अप्रूवल मिलने के बाद ही नया ओनर उसका संचालन कर सकेगा. तब तक उस एयरक्राफ्ट की उड़ान इललीगल माना जाएगी.
पूरी एयरलाइन्स के व्यवस्थित संचालन के लिए टाटा संस को अपनी एयरलाइंस के एयर ऑपरेटर परमिट (एओपी) में से एक को एयर इंडिया के साथ मिलाना होगा.
डीजीसीए में आवेदन करने से पहले समूह को एयरबस ए 320 नियो विमान के लिए पट्टेदारों से भी मंजूरी लेनी होगी क्योंकि वे बिक्री और लीजबैक मॉडल पर हैं.
विमान पट्टेदारों से अनुमति आवश्यक है क्योंकि एयरक्राफ्ट की टाइटल डीड को सरकारी स्वामित्व से टाटा समूह के स्वामित्व में बदला जाना है.
सूत्रों ने कहा कि टाटा समूह की एयरलाइनों के एकीकरण की प्रक्रिया अगले साल की शुरुआत में शुरू होगी जब टाटा एयरएशिया इंडिया में 100 प्रतिशत अधिग्रहण करेगी.
पिछले साल टाटा ने एयरएशिया इंडिया में अपनी हिस्सेदारी 51 फीसदी से बढ़ाकर 83.67 फीसदी कर दी थी और एयरएशिया बरहाद से 32.67 फीसदी हिस्सेदारी 276.29 करोड़ रुपये में खरीदी थी. एयरएशिया बरहाद ने अपनी शेष हिस्सेदारी का मूल्य 18.8 मिलियन डॉलर आंका है.