NCDEX Trading: फसल पर ज्यादा मुनाफे के लिए करना चाहते हैं ट्रेडिंग तो जानें ये जरूरी टिप्स

Agri Trading By Farmers : कुल उत्पादन का काफी कम हिस्सा ही MSP पर खरीदा जा रहा है. ऐसे में NCDEX जैसे एक्सचेंज प्लेटफॉर्म की मदद मिलेगी.

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KCC कर्ज के लिए नोटिफाई फसल/क्षेत्र, फसल बीमा के अंतर्गत कवर किए जाते हैं. प्रथम वर्ष के लिए कर्ज की मात्रा कृषि लागत, फसल के बाद खर्च के आधार पर निर्धारित किया जाएगा.

KCC कर्ज के लिए नोटिफाई फसल/क्षेत्र, फसल बीमा के अंतर्गत कवर किए जाते हैं. प्रथम वर्ष के लिए कर्ज की मात्रा कृषि लागत, फसल के बाद खर्च के आधार पर निर्धारित किया जाएगा.

महीनों की मेहनत और इंतजार के बाद तैयार हुई फसल को सही दाम ना मिले तो किसानों को हताशा का सामना करना पड़ सकता है. लेकिन, किसानों इस बात को ध्यान में रखें कि वे सिर्फ मंडी ही नहीं, बल्कि एक्सचेंज पर तय भाव पर भी फसल बेच सकते हैं. भारत में दालों से लेकर मसालों तक की ट्रेडिंग के लिए एक्सचेंज हैं. इसमें सबसे ज्यादा वॉल्यूम यानी मात्रा में ट्रेडिंग होती है NCDEX पर. इस एक्सचेंज पर किसान कैसे अपनी फसल बेच सकते हैं, क्या हैं नियम और कौन करेगा मदद, आज हम यही जानकारी आपको देने जा रहे हैं.

क्या है NCDEX?

NCDEX मार्केट रेगुलेटर सेबी के नियमों के तहत आता है. इस एक्सचेंज में NABARD, LIC, पंजाब नेशनल बैंक, कैनरा बैंक, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज जैसे कई दिग्गज निवेशक हैं. इसलिए सुरक्षा या शिकायतों को लेकर चिंता कतई न करें.

इस एक्सचेंज पर कुल 23 एग्री कमोडिटीज की ट्रेडिंग होती है और 7 फसलों की वायदा ट्रेडिंग भी होती है.

अब अगर आप NCDEX की समझ नहीं रखते हैं तो ऐसी स्थिति में फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन यानी किसान उत्पादक संगठन (FPOs) मदद करेंगे. खासकर छोटे और मध्यम किसानों को इन संगठन के जरिए मदद मिलेगी.

14 राज्यों के किसान शामिल

NCDEX के मुताबिक, वित्त वर्ष 2020-21 तक 342 किसान उत्पादक संगठन जुड़े हैं. इन FPOs में कुल 14 राज्यों से 8,91,547 किसान शामिल हैं.

NCDEX इन संगठनों के साथ मिलकर ट्रेनिंग से लेकर जागरूकता अभियान चलाता है ताकि किसानों को अपनी नजदीकी मंडी के अलावा भी अपनी फसल बेचने का विकल्प मिले.

जानकारी के मुताबिक, इस प्लेटफॉर्म पर सबसे ज्यादा ट्रेडिंग चना, सोयाबीन और रेपसीड मस्टर्ड की हुई है.

किन बातों का रखें ध्यान?

रिसर्च जरूरी

एसएमसी ग्लोबल (SMC Global) के कमोडिटी रिसर्च की AVP वंदना भारती कहती हैं कि किसान जो भी प्लेटफॉर्म चुनें उन्हें उसके बारे में पहले जानकारी हासिल करनी चाहिए. वे चाहे तो उसके बारे में सेशन अटेंड कर सकते हैं. किसानों को अगर मुनाफे के बारे में बताया जा रहा है तो उन्हें ट्रेडिंग से जुड़े जोखिम भी समझने होंगे. कोई भी ट्रेड लेने से पहले थोड़ा रिसर्च जरूरी है.

डिलीवरी की जानकारी लें

किसानों को ये जानकारी हासिल करनी होगी कि उनके इलाके में कहां से वे डिलीवरी दे सकते हैं या ले सकते हैं. डिलीवरी सिस्टम की समझ जरूरी है क्योंकि इस प्लेटफॉर्म पर ट्रेडिंग अन्य शेयर बाजार जैसी ट्रेडिंग से अलग है. यहां असल में आपके उपज को खरीदार तक पहुंचाने में डिलीवरी सिस्टम ही काम आएगा. डिलीवरी यानी उत्पाद कहां और कैसे भेजना होगा.

फसल की क्वालिटी है अहम

किसानों को डिलीवरी प्रक्रिया के साथ ही ये जानना होगा कि NCDEX पर किस क्वालिटी की फसल को मंजूरी मिली है. किसानों को ये पहले पता करना होगा कि उनकी फसल की क्वालिटी मान्य है या नहीं. अगर क्वालिटी में फर्क है तो क्या उस उपज को लिया जाएगा या नहीं, इससे जुड़े सवालों को समझें.

दूसरों से पूछने में हिचकें नहीं

वंदना मानती हैं कि अगर किसान किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं जो पहले से ट्रेडिंग करते हैं तो उनसे पूछने में आपको कोई हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए. ऐसे लोग आपको बाजार से जुड़े टर्म जैसे मार्जिन, वायदा आदि समझा सकेंगे. वे कहती हैं कि इस दिशा में रिसर्च कंपनियां भी काम कर रही हैं और रिसर्च को उनकी भाषा में भी पब्लिश कर मंडियों तक पहुंचा रही हैं ताकि किसानों को सही जानकारी उनकी ही भाषा में मिल सके.

चार्जेज की जानकारी

क्या ट्रेडिंग पर चार्ज लगेगा? वंदना कहती हैं कि किसानों पर FPO के जरिए ट्रेडिंग पर कोई चार्ज नहीं लगते क्योंकि SEBI और अन्य एक्सजेंच ने फंड बनाए हैं ताकि किसानों की मदद की जा सके. हालांकि, वेयरहाउस और गोदाम में स्टोर करने पर अलग अलग फसल के अलग-अलग चार्ज होते हैं.

ट्रेडिंग की ताकत

FPO के जरिए किसान बड़ी पोजिशन भी ले सकेंगे. हो सकता है कि एक किसान के पास उतनी उपज ना हो जितनी एक लॉट में NCDEX पर डिलीवरी देनी हो.

वंदना उदाहरण के तौर पर बताती हैं कि मान लीजिए आपके पास 30 किलोग्राम सरसों है तो ये डिलीवरी पॉइंट की जरूरत को पूरी नहीं करेगा क्योंकि उसके लिए ज्यादा फसल चाहिए. ऐसे में कई किसान मिलकर पूलिंग के जरिए प्लेटफॉर्म पर ट्रेड कर सकते हैं – ठीक जैसे म्यूचुअल फंड काम करते हैं. इसमें FPOs की मदद मिलेगी. महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान में FPOs काफी एक्टिव हैं.

पोजिशन लेते वक्त सावधानी जरूरी

किसानों को ट्रेडिंग के वक्त संभल कर पोजिशन लेनी चाहिए. वंदना भारती बताती हैं कि मान लीजिए आपकी खरीफ फसल है और आगे उम्मीद है कि मॉनसून अच्छा रहेगा और इसके साथ ही सरकार भी खाद्य महंगाई को काबू करने पर काम कर रही है. इस स्थिति में कीमतों में गिरावट की आशंका रहती है क्योंकि सप्लाई ज्यादा रहने का अनुमान है. तब किसानों को पोजिशन लेने से पहले संभल जाना चाहिए. नई फसल की आवक से पहले अगर किसान पोजिशन ले सकें तो बेहतर होगा. नई आवक से कीमतों में गिरावट आती है. मौसम के मुताबिक इसे समझें.

बेहतर भाव

कुल उत्पादन का काफी कम हिस्सा ही MSP पर खरीदा जा रहा है. ऐसे में इस तरह के एक्सचेंज प्लेटफॉर्म की मदद मिलेगी. साथ ही, वंदना के मुताबिक, जिन इलाकों में किसानों की ओर से डिमांड आती है वहां डिलीवरी सिस्टम और वेयरहाउस तैयार किया जाता है.

Published - June 17, 2021, 10:06 IST