दोस्तों, रिश्तेदारों को उधार देते वक्त इस बात का रखें ध्यान, वर्ना चुकाना होगा 100% जुर्माना

इनकम टैक्स के सेक्शन 269SS के तहत टैक्सपेयर को 20,000 रुपये से ज्यादा की रकम का कर्ज कैश में नहीं देना या लेना चाहिए.

  • Team Money9
  • Updated Date - November 18, 2021, 03:36 IST
दोस्तों, रिश्तेदारों को उधार देते वक्त इस बात का रखें ध्यान, वर्ना चुकाना होगा 100% जुर्माना

Pexels - धारा-271D कहती है कि धारा-269SS का उल्लंघन करना दंडनीय अपराध है, और 100% जुर्माना लग सकता हैं.

Pexels - धारा-271D कहती है कि धारा-269SS का उल्लंघन करना दंडनीय अपराध है, और 100% जुर्माना लग सकता हैं.

Never Lend Cash to Friends & Relatives: दोस्तों या रिश्तेदारों की मदद करना अच्छी बात हैं. कोरोना महामारी के चलते कई लोगों ने पैसें की किल्लत का सामना किया और उन्हें बैंक भी लोन नहीं देते थे, ऐसे हालात में उन्हें अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के सामने हाथ फैलाने की नौबत आई थी. कई लोगों ने उधारी में पैसे भी लिए थे. कई परिवारों और दोस्तों के बीत कैश में लेनदेन आम बात हैं, लेकिन आयकर कानून के मुताबिक, 20,000 रूपये से ज्यादा नकद लेना और देना अपराध हैं. अगर आप इसका पालन नहीं करते हैं तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आपसे लोन अमाउंट के बराबर राशि पेनल्टी के रूप में ले सकता हैं

क्‍या है धारा 269SS और धारा-271D

आयकर कानून-1961 की धारा-269SS किसी भी व्यक्ति को अपने खाते में अन्य व्यक्ति से कुल 20,000 रुपये से अधिक की नकद जमा या लोन के तौर पर लेने से रोकती है. इसके लिए या तो चेक से इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर ही किया जा सकता है. वहीं कानून की धारा-271D कहती है कि धारा-269SS का उल्लंघन करना दंडनीय अपराध है.

धारा का मतलब

टैक्स एक्सपर्ट बताते हैं कि, कोई भी व्‍यक्ति लोन या डिपॉजिट के तौर पर दूसरे व्‍यक्ति से 20,000 रुपये या इससे अधिक नहीं ले सकता. आयकर अधिनियम की धारा 269SS में इस बात का उल्‍लेख किया गया है. अगर आप किसी व्‍यक्ति से पैसे ले रहे हैं तो वह लोन और डिपॉजिट मिलाकर 20,000 रुपये या इससे अधिक नहीं होनी चाहिए.

100 फीसदी चुकाना होगा टैक्स

यदि किसी व्यक्ति को धारा-269SS के उल्लंघन का दोषी पाया जाता है तो उसे जुर्माने में उतनी ही रकम देनी होगी जितनी उसने नकद लोन के तौर पर ली हैं. यानी, आपने 5 लाख रूपये नकद लिए हैं, तो आपको इतनी ही रकम का जुर्माना चुकाना होगा.

क्या करना चाहिए

मित्रों और परिवार को उधार देना एक भावनात्मक निर्णय है, और इसलिए यह मुश्किल हो सकता है. ध्यान रखें, उधार देना आपके इनकम टैक्स पर भी असर डाल सकता है. जब आपको उधार वापस चुकाया जाएगा तो अमाउंट ज्यादा होने की दशा में बैंक आपसे उसका कारण पूछ सकता है. इन सबसे बचने के लिए लोन देते समय एक लोन अग्रीमेंट तैयार कर लीजिए. इस पर लोन अमाउंट, वापसी की तारीख, सभी शर्तों के साथ आपकी सारी डिटेल्स होनी चाहिए. इससे भविष्य में बैंक को जानकारी देने में आसानी होगी.

इन बातों का रखें ध्यान

– अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को सिर्फ उतना ही उधार दें जितनी आपकी लिमिट हो. अगर रिश्तेदारों और दोस्तों की आवश्यकता आपकी क्षमता से अधिक हो तो सिर्फ उतना ही दें जितना आप दे सकते हैं.
– आपकी पैसा खोने की क्षमता और रिश्तेदारों/दोस्तों की आवश्यकता में से जो कम हो उतना ही उधार दें.
– उधार देने से पहले यह भी जानें कि उधार क्यों मांगा जा रहा है? उचित कारण होने पर ही उधार दें. अगर आप कारण से संतुष्ट नहीं हैं, तो उधार देने से बचें.
– सिर्फ एक सादा कागज पर लोन की राशि के साथ उधार लेने वाले के साइन कराकर लोन देने पर भी लोन डूबने की रिस्क रहती है. इस तरह से उधार देकर आप अपना ही नुकसान करवा लेते हैं.

Published - November 18, 2021, 03:36 IST