प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना (PMAY-G) के तहत घर बनाने में तेजी आई है. वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान योजना के तहत देश में 52.8 लाख मकान बनाए गए हैं. एक साल पहले के मुकाबले निर्माण में 25 फीसदी की तेजी आई है. मौजूदा वित्त वर्ष यानी 2023-24 में 57.3 लाख घर बनाने का लक्ष्य है. जिससे वित्त वर्ष 2023-24 के अंत तक ‘सभी को आवास’ देने का टागरेट पूरा हो सकेगा. योजना के तहत 2.9 करोड़ पक्के घर बनाने का लक्ष्य रखा गया है.
किन राज्यों में तेजी से बने मकान? ग्रामीण विकास मंत्रालय के एक अधिकारी ने एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में बताया कि मध्य प्रदेश प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) का सबसे बड़ा लाभार्थी बनकर उभरा है. यहां 34.2 लाख मकान बनाए गए हैं. उसके बाद उत्तर प्रदेश में 32.1 लाख और झारखंड में 15.2 लाख घरों का निर्माण किया गया है.
गांवों में अब तक बने कितने मकान? केंद्र की ओर से अब तक 2.86 करोड़ घरों को स्वीकृत दी गई है, जिसमें से राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में अब तक 2.38 करोड़ घर बनकर तैयार हो चुके हैं.
बजट में ग्रामीण आवास योजना के लिए आवंटन गरीबों के घरों के निर्माण में तेजी लाने के मकसद से केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना की आवंटन राशि बढ़ाई है. इसके लिए 54,487 करोड़ रुपए दिए गए हैं, जो पिछले वित्त वर्ष के 48,422 करोड़ रुपए के मुकाबले 12 फीसदी अधिक है.
गरीबों को समय से पहले मिल जाएगा घर! सरकार का जोर इस बात पर है कि ”सभी को आवास” देने का लक्ष्य 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले ही पूरा कर लिया जाए. अगर ऐसा होता है तो यह चुनाव से पहले सरकार के लिए बड़ी उपलब्धि होगी और गरीबों को निर्धारित समय से पहले उनका घर मिल जाएगा. सरकार डेडलाइन को तीन महीने घटाकर दिसंबर 2023 करने की तैयारी में है. प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना सरकार की लोकप्रिय योजनाओं में से एक है. इनमें स्वच्छ भारत कार्यक्रम, फ्री गैस कनेक्शन के लिए उज्ज्वला योजना और बिजली के लिए सौभाग्य योजना आती हैं. PMAYG के तहत बनने वाले घर में बिजली, पानी और गैस कनेक्शन से लैस हैं.
PMAY-G क्या है? प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) की शुरुआत साल 2016 में की गई थी. पहले इस योजना को पूरा करने की डेडलाइन मार्च 2022 थी, लेकिन कोविड महामारी के चलते इसे बढ़ाकर मार्च 2024 कर दिया गया है. इस योजना के तहत घर बनाने में आने वाले खर्च का 60 फीसदी हिस्सा केंद्र उठाती है और बाकी बचा 40 फीसदी राज्य सरकारें उठाती हैं. हालांकि, पूर्वोत्तर राज्यों और पहाड़ी राज्यों में केंद्र का हिस्सा 90 फीसदी और केंद्र शासित प्रदेशों में यह हिस्सेदारी 100 फीसद तक जाती है. इसमें मैदानी क्षेत्र में घर के निर्माण के लिए 1.20 लाख रुपए और पहाड़ी क्षेत्र में 1.30 लाख रुपए दिए जाते हैं. वित्तीय सहायता के अलावा, लाभार्थी को मनरेगा के तहत 90 दिन का रोजगार और शौचालय बनवाने के लिए 12,000 रुपए अलग से मिलते हैं.
राज्यों में योजना का रिपोर्ट कार्ड ग्रामीण विकास मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 2.9 करोड़ मकानों में से 2.2 करोड़ मकान बनकर तैयार हो चुके हैं. झारखंड में सबसे ज्यादा 92 फीसदी मकान बन चुके हैं जबकि राजस्थान में 91.42 फीसद, बिहार में 91.37 फीसद और मध्य प्रदेश में 88 फीसदी पक्के मकान अब तक बन चुके हैं.
राज्य टारगेट कम्प्लीट प्रतिशत झारखंड 1602270 1474486 92.02 राजस्थान 1736384 1587378 91.42 बिहार 3871194 3537181 91.37 मध्य प्रदेश 3776575 3327608 88.11 उत्तर प्रदेश 3478718 2698353 77.57
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