मैंने अपना कॉलेज सातवें दिन ही छोड़ दिया. चलती क्लास से बहार आ गया. मैं फेल हो गया था. आखिरकार मैंने सामान खरीदा, हिम्मत जुटाई और रोड पर चाय का ठेला लगा लिया. जिस चाय ने मुझे आज तक जिंदा रखा उसे ही मैंने अपना धंधा बना लिया. मैंने चाय से शादी कर ली है और उसी से प्यार करता हूं. यह कहना है ‘एमबीए चायवाला’ के प्रफुल्ल बिलौरे का. वह एमबीए करना चाहते थे. लेकिन, आज वे अपना सपना छोड़कर चाय बेच रहे हैं. उन्होंने 20 साल की उम्र में अपने पेरेंट्स से 8,000 रुपये लेकर चाय का ठेला शुरू किया और सिर्फ 4 साल यानी 24 साल तक आते-आते 3 करोड़ की कंपनी बना ली.
करना चाहते थे एमबीए
प्रफुल्ल की यह कहानी काफी प्रेरणादायक है, जो लाखों स्टूडेंट की तरह MBA करना चाहते थे. यही एक कारण है की उन्होंने तीन बार कैट का एग्जाम दिया और तीनों बार असफल रहे. निराश होकर उन्होंने खुद को कुछ हफ्तों के लिए एक कमरे में बंद कर लिया. सारा-सारा दिन वह यह सोचने में गुजार देते थे कि अब क्या करें. काफी दिनों तक परेशान होने के बाद आखिरकार प्रफुल्ल को अहमदाबाद की एक दुकान (मैकडॉनल्ड्स) में 37 रुपये प्रति घंटे के साथ डिलिवरी बॉय की नौकरी मिल गई.
हालांकि इस बीच उनका प्रमोशन भी हुआ लेकिन, कुछ अलग और नया करने की चाह उनके अंदर लगातार प्रबल होती जा रही थी. उन्हें यह लगने लगा था कि कब तक मैकडॉनल्ड्स उनकी पहचान बनकर रहेगा.
इसी बीच प्रफुल्ल ने खुद का बिजनेस शुरू करने के बारे में सोचा. लेकिन इसके लिए उनके पास पैसे नहीं थे. वह ऐसा बिजनेस करना चाहते थे जिसमें कम पूंजी लगे. इस तरह प्रफुल्ल को चाय की दुकान खोलने का आइडिया आया. काम की शुरुआत के लिए प्रफुल्ल ने अपने परिजनों से 8,000 रुपये लिए. इन पैसों से प्रफुल्ल ने अहमदाबाद के एसजी हाइवे पे चाय का ठेला लगाना शुरू किया.
MBA चायवाला
प्रफुल्ल बिलौरे बताते हैं कि शुरुआत में उनकी चाय का ठेला नहीं चला. इसके बाद उन्होंने चाय को लोगों के पास ले जाने का फैसला किया. वह बताते हैं कि जब वह चाय लेकर लोगों के पास जाते और उनसे इंग्लिश में बात करते तो लोग हैरान रह जाते. इस तरह धीरे धीरे प्रफुल्ल के ग्राहक बढ़ते चले गए और उनका कमाई हर महीने हजारों में पहुंच गई. प्रफुल्ल बताते हैं कि उन्होंने अपने टी स्टॉल का नाम “मिस्टर बिलौरे अहमदाबाद चायवाला” रखा था. जिसे वह शॉर्ट में MBA चायवाला कहते हैं.
प्रफुल्ल का आइडिया आज लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ हे। वो लोगों का मनोरंजन करने के लिए अपनी टपरी पर ही ओपन माइक लगवा देते थे. वेलेंटाइन डे पर उन्होंने सिंगल लोगों को फ्री में चाय दी. ये स्टोरी काफी वायरल हुई थी इसके बाद वह शादियों में चाय की स्टॉल लगाने लगे.
आज प्रफुल्ल का ये आइडिया काफी फेमस हो गया है. लोग उनकी फ्रैंचाइजी लेने के लिए तैयार रहते हैं. आज पूरे देश में उनकी कुल 11 फ्रेंचाइजी है. वो मोटिवेशनल स्पीकर है और कई कॉलेजेस में लैक्चर दे चुके हैं.
अपने स्ट्रगल के बारे में प्रफुल्ल बताते हैं की उन्होने चाय का ठेला शुरू किया तो घरवालों, दोस्तो ने काफी कुछ सुनाया. नगर निगम की टीम चार बार चाय का ठेला ले गइ. गुंडो ने भी धमकाया. लोग चायवाला बोलते थे, इज्जत नहीं मिलती थी. इस बात से मैंने ये सिखा की बिजनेस करना हो तो किसी की बात मत सुनो, आपको ठीक लगे वो करो. कोइ आपकी मदद नहीं करेगा.
फाइनेंशियल इनवेस्टमेंट
प्रफुल्ल सिर्फ चाय की फ्रेंचाइजी से ही नहीं कमाते, वह शादियों में चाय बनाने जाते हैं और एक दिन के 50 हजार चार्ज करते हैं. क्रिप्टोकरेंसी और शेयर बाजार में भी इनवेस्ट करते हैं. रिलायंस और अडानी के शेयर उनके फेवरिट हैं.
क्या है प्रफुल्ल की इच्छा
कोरोना महामारी के बाद प्रफुल्ल हार्ट, कैंसर जैसी गंभीर बिमारी से पीड़ित करीब 100 लोगो के लिए 1 से लेकर 10 लाख रुपये तक का फंड जुटाना चाहते हैं. इसके लिए वो चाय मेराथन करेंगे.