कोरोना काल के दौरान पैसों की जरूरत को देखते हुए केंद्र सरकार ने साल 2021-22 के दौरान राज्यों के उधार लेने की सीमा बढ़ाकर राज्य के जीडीपी का 5 फीसद कर दिया था. इसके बाद से राज्य सरकारें ज्यादा कर्ज ले रही हैं. हालांकि एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मतदाताओं से किए लुभावने वादों को पूरा करने के लिए उसे कर्ज की जरूरत पड़ रही है. स्टेट डेवलपमेंट लोन का इस्तेमाल करने वालों में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल और पंजाब सबसे आगे हैं. ऐसे में केंद्र सरकार फाइनेंस कमीशल की सलाह के आधार पर राज्य सरकारों के उधार लेने की सीमा घटा रही है. इसे 5 फीसद से कम करके 3.5 फीसद कर दिया गया है. जबकि साल 2022-23 में यह दर 4 फीसद थी.
इस साल अप्रैल से 28 अगस्त तक राज्यों ने करीब 2.72 लाख करोड़ रुपए उधार लिए हैं. हालांकि यह इस वित्त वर्ष की पहली छमाही में तय 4.37 लाख करोड़ रुपए से कम हैं. पिछले दो सालों के आंकड़ों पर गौर करें तो इस दौरान राज्यों की तरफ से उधार से जुटाए जाने वाले पैसे आरबीआई के इंडिकेटिव कैलेंडर से कम रहा है. पिछले वित्त वर्ष में राज्यों ने करीब लाख करोड़ रुपए उधार से जुटाए थे. यह 2021-22 के 7.02 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा था. एसबीआई के इकोनॉमिक रिसर्च डिपार्टमेंट की ओर से मार्च में जारी रिपोर्ट के अनुसार राज्य सरकारें बाजार से 8.2 लाख करोड़ रुपए उधार ले सकती हैं.