भारत ने हाल ही में लैपटॉप, टैबलेट , ऑल इन वन पर्सनल कंप्यूटर और सर्वर आदि के आयात पर हाल ही में प्रतिबंध लगा दिया है. ये आयात प्रतिबंध उन देशों पर भी लागू होगा जिनके भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते हैं, जैसे- जापान, दक्षिण कोरिया और आसियान देश. भारत की ओर से कहा गया है कि 1 नवंबर से लागू होने वाले इन प्रतिबंधों से ट्रीटी रूट्स पर कहीं कोई बाधा नहीं आएगी. 31 अक्टूबर तक फ्री आयात किया जा सकता है लेकिन इसके बाद आयात के लिए लाइसेंस की जरूरत होगी.
अधिकारियों के मुताबिक देश ने ना तो टैरिफ बढ़ाया है और ना ही बैन लगाया है, केवल ये कहा है कि आयात के लिए लाइसेंस की जरूरत होगी. इसके FTA प्रावधानों का उल्लंघन नहीं होगा. भारत ने अप्रैल-मई के दौरान 1.2 अरब डॉलर का ऐसा सामान मंगाया जबकि पूरे वित्त 2023 में 8.8 अरब डॉलर था. इसमें चीन का हिस्सा आधे से अधिक यानी करीब 5.1 अरब डॉलर था. इस दौरान सिंगापुर से 1.3 अरब डॉलर का सामान आयात किया गया. एक ट्रेड विशेषज्ञ ने कहा कि शायद सरकार उन कंपनियों को लाइसेंस नहीं देगी जिनको वो संदेहास्पद मानती है.
उन्होंने कहा कि जिस तरह चीन के ऐप्स को बाहर किया गया था उसी तरह इस बार भी चीन की कंपनियों पर असर हो सकता है. भारतीय सरकार उन हार्डवेयर फर्म्स पर रोक लगा सकती है जिन्हें भारत की सुरक्षा के लिए खतरा माना जा सकता है. भारत सरकार की इस पहल से भारत में लोकल प्रोडक्शन को बढावा मिलेगा लेकिन इसमें थोड़ा वक्त लग सकता है.
44 आईटी हार्डवेयर कंपनियों ने कराया रजिस्ट्रेशन
ग्लोबल स्तर के पर्सनल कंप्यूटर निर्माताओं समेत करीब 44 आईटी हार्डवेयर कंपनियों ने भारत में लैपटॉप, टैबलेट और पीसी बनाने के लिए पंजीकरण कराया है. एक अधिकारी ने कहा कि सरकार के इस फैसले से देश में आईटी हार्डवेयर विनिर्माण में उस सफलता को दोहराने की उम्मीद है, जो पीएलआई योजना के तहत मोबाइल फोन विनिर्माण में मिली थी.
सरकार ने 17,000 करोड़ रुपये की पीएलआई योजना के तय की है. काउंटरप्वाइंट रिसर्च के अनुसार जून 2023 तिमाही में पीसी सेक्शन में लेनोवो, एचपी, डेल, एप्पल और एसर शीर्ष पांच कंपनियां थीं. भारत में कुल लैपटॉप और पीसी बाजार सालाना आठ अरब अमेरिकी डॉलर के करीब है. इसमें लगभग 65 प्रतिशत यूनिट्स आयात की जाती हैं.