सब्जियों की बढ़ती कीमतों के कारण मासिक उपभोक्ता मुद्रास्फीति मूल्यांकन दर में बढ़ोतरी हुई है. हालांकि अगले महीने से इसके कम होने की उम्मीद है. भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास के मुताबिक ताजा फसलों के आने से महंगाई दर कम होगी. जुलाई में टमाटर की कीमतों में नरमी दिखनी शुरू हो गई थी. मंडियों में टमाटर की नई आवक से कीमतें कम हुई है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि सितंबर से सब्जी मुद्रास्फीति में काफी मंदी देखने को मिल सकती है. आरबीआई गवर्नर ने इसका श्रेय सख्त मौद्रिक नीति को दिया.
उन्होंने यह भी कहा कि खाद्य और ईंधन की बढ़ी हुई कीमतों को छोड़कर महंगाई दर अपने हालिया शिखर से लगभग 130 आधार अंक कम हो गई है. हालांकि यह अभी भी 4.9 प्रतिशत पर है, लेकिन मुख्य मुद्रास्फीति में लगातार आ रही गिरावट के पीछे सख्त मौद्रिक नीति है. बता दें
मौद्रिक नीति समिति ने इस महीने की शुरुआत में अपनी बैठक में दरों पर विचार किया. साथ ही वित्तीय वर्ष के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान भी पहले के 5.1 प्रतिशत से बढ़ाकर 5.4 प्रतिशत कर दिया.
भारत की एमपीसी को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक की ओर से मापी गई महंगाई दर को 4 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया. पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में महंगाई दर 7.3 प्रतिशत के उच्चतम स्तर से कम होकर चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 4.6 प्रतिशत हो गई. यह मुद्रास्फीति में 270 आधार अंकों की गिरावट थी.
इसके अलावा आरबीआई गवर्नर ने उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं के लिए विदेशी मुद्रा भंडार बनाने की जरूरत पर भी बात की. उन्होंने कहा कि हमारी आधिकारिक स्थिति ऐसी है कि हम पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार बनाएंगे, क्योंकि बीओपी संकट किसी भी समय आ सकता है.