उत्तर प्रदेश सरकार ने नोएडा, गोरखपुर और कानपुर समेत प्रदेश के प्रादेशिक कोआपरेटिव डेयरी फेडरेशन यानी पीसीडीएफ के 6 डेयरी प्लांट को 10 साल के लिए लीज पर देने का फैसला लिया है. हालांकि इनके स्वामित्व का अधिकार पीसीडीएफ और दुग्ध संघों के पास ही होगा. यूपी सरकार के इस फैसले से आम लोगों को गुणवतापूर्ण दूध मिल सकेगा. राज्य सरकार ने पशुपालकों को दूध का उचित मूल्य पाने में मदद करने और ठप पड़े प्लांट को दोबारा चलाने के मकसद से यह फैसला किया है.
84 दिन के भीतर लीज प्रक्रिया को पूरा करना होगा मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में राज्य सरकार ने यह फैसला लिया. जानकारी के मुताबिक इन प्लांट्स को लीज पर देने से पहले विभाग की ओर से इनके कर्ज को खत्म किया जाएगा. वहीं इन डेयरी में काम करने वाले पीसीडीएफ के कर्मचारियों को अन्य दुग्ध संघों एवं पीसीडीएफ इकाइयों में जोड़ा जाएगा. रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल प्रकाशित किए जाने की तारीख से 84 दिन के अंदर लीज प्रक्रिया को पूरा करना होगा और प्लांट का संचालन करना होगा. अगर लीज फर्म की ओर से एक साल से कम समय में प्लांट का संचालन खत्म किया जाता है तो उसकी सिक्योरिटी मनी को जब्त कर लिया जाएगा.
सिर्फ प्रबंधन और संचालन कर सकेगी फर्म कैबिनेट के फैसले के तहत गोरखपुर, कानपुर, नोएडा, प्रयागराज, आजमगढ़ और मुरादाबाद डेयरी प्लांट को लीज पर दिया जाएगा. प्लांट लीज पर लेने वाली फर्म को सिर्फ प्रबंधन और संचालन का ही अधिकार रहेगा. फर्म प्लांट की मूल संरचना के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं कर सकेगी. बता दें वर्तमान में गोरखपुर प्लांट का सालाना टर्नओवर 110 करोड़, कानपुर का 325 करोड़, नोएडा का 438 करोड़, प्रयागराज का 65 करोड़, आजमगढ़ का 11 करोड़ और मुरादाबाद का 110 करोड़ रुपए है.
इन प्लांट को लीज पर लेने के लिए बनास डेयरी गुजरात, साबर डेयरी गुजरात, मदर डेयरी नई दिल्ली और काम्फेड सुधा डेयरी बिहार ने अपनी दिलचस्पी दिखाई है. प्लांट को लीज पर लेने वाली फर्मों को सबसे पहले क्षेत्र सहकारी दुग्ध समितियों से दूध लेना होगा. रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (RFP) के अनुसार आवेदन करने वाले फर्मों की न्यूनतम मिल्क हैंडलिंग कैपेसिटी, लीज पर दिए जाने वाले प्लांट्स की क्षमता का 50 फीसद होना अनिवार्य है. वहीं पहले तीन साल में सालाना लीज रेंट समान रहेगा, जबकि चौथे साल से लीज रेंट में सामान्य से 5.50 फीसद की बढोतरी की जाएगी.
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