जुलाई के बाद अगस्त महीने में अपर्याप्त मानसूनी बारिश की वजह से उमस बढ़ गई है. इस वजह से लोग, खासकर उत्तर भारत में, गर्मी से बेहाल हैं. यही वजह है कि अगस्त में देश भर में बिजली की बढ़ी खपत ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. ऐसे में कोयले से संचालित होने वाले पावर प्लांट्स के लिए मुसीबत खड़ी हो गई है. ज्यादातर प्लांट कोयले की कमी से जूझ रहे हैं. इस महीने के शुरुआती 21 दिनों में कोयले की खपत 44.3 लाख टन के पार पहुंच चुकी है.
देश में बिजली की खपत को लेकर पावर मिनिस्ट्री ने एक अनुमान जारी किया था, जिसके तहत 16 से 18 अगस्त के पीक समय में बिजली की खपत 229GW होने की उम्मीद थी. जबकि वास्तव में 16, 17 और 18 अगस्त को क्रमश: बिजली की खपत 233GW, 234.1GW और 231.6GW दर्ज की गई. सूत्रों का कहना है कि अत्यधिक गर्मी और उमस के चलते देशभर में बिजली की मांग बहुत ज्यादा है. मगर डिमांड को पूरा करने के लिए कोयले की कमी है, जो लगातार बढ़ती जा रही है.
उदाहरण के तौर पर डीसीबी प्लांट ने 1 से 21 अगस्त के बीच 4.572 करोड़ टन कोयले का इस्तेमाल किया, जबकि प्लांट को इस बीच कोयले की आपूर्ति 4.129 करोड़ टन हुई. लिहाजा कोयला भंडार में 44.3 लाख टन की कमी दर्ज की गई, जो वित्त वर्ष 2023-24 में सबसे ज्यादा है. इसी तरह साल 2023 अप्रैल, मई, जून और जुलाई में खपत और आपूर्ति के बीच 41.5 लाख टन, 19.1 लाख टन, 37.7 लाख टन और 23.2 लाख टन का अंतर था. कोयले की कमी को पूरा करने के लिए पावर प्लांट्स को मजबूरी में महंगे कोयले का इंपोर्ट करना पड़ा. अगर ऐसा नहीं किया जाता तो कोयले की कमी इससे भी ज्यादा हो सकती थी.
क्या होगा आगे?
अगर बिजली संयंत्रों में कोयला भंडार की कमी लगातार बनी रहती है तब त्योहारी सीजन में बिजली की मांग को पूरा करना मुश्किल होगा. बिजली की मांग और आपूर्ति में अधिक अंतर होने से बिजली कटौती की समस्या खड़ी हो सकती है.