खाद्य तेल उद्योग की प्रमुख संस्था सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) ने अपने सभी सदस्यों से खाद्य तेलों की अधिकतम खुदरा कीमत (MRP) घटाने का अनुरोध किया है. एसोसिएशन ने खाद्य तेलों के लिए डिस्ट्रीब्यूर प्राइस को भी कम करने के लिए कहा है. SEA का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार के हिसाब से कंपनियों को घरेलू बाजार में खाद्य तेलों के दाम घटाने चाहिए. एसोसिएशन का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में खाद्य तेल के दाम घटे हैं. इसलिए भारत में भी खाद्य तेल सस्ता होना चाहिए.
हालांकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में पाम ऑयल और सोयाबीन ऑयल के महंगा होने की आशंका फिर बढ़ गई है. मलेशिया और इंडोनेशिया में पाम का उत्पादन घटने की आशंका है. वहीं अमेरिका में सोयाबीन की फसल खराब मौसम की वजह से प्रभावित होने की आशंका है. रूस-युक्रेन के बीच लंबे खिचें युद्ध से सनफ्लॉवर ऑयल की किल्लत पहले से ही बनी हुई है. ये तीनों ही ऐसे तेल हैं, जिनका भारत बहुत अधिक मात्रा में आयात करता है.
अब अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेलों के दाम में फिर से बढ़ोतरी होती है, तो क्या SEA के कहने पर कंपनियां खाद्य तेल के दाम कम करेंगी? अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें नहीं बढ़ती हैं, तब तो कंपनियां SEA का कहना मान सकती हैं. लेकिन अगर अंतरराष्ट्रीय बाजारों में खाद्य तेल महंगा होता है, तब इनके दाम भारत में घटने को लेकर आशंका बढ़ जाएगी.
सरकार ने दिया निर्देश खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग ने हाल ही में खाद्य तेल कंपनियों की बैठक बुलाई थी. इस बैठक में खाद्य तेल की कीमतों को लेकर चर्चा हुई. मंत्रालय के अधिकारियों ने इंडस्ट्री से कहा है कि वे अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में आई नरमी के अनुरूप देश के भीतर भी तेल के दाम घटाएं. इस बैठक के बाद ही SEA ने सभी सदस्य कंपनियों को MRP घटाने को कहा है.
क्या कहा SEA ने सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने खाद्य तेल वितरकों से अपने डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क में शामिल खुदरा दुकानदारों पर भी नजर रखने के लिए कहा है. वितरकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि खुदरा दुकानदार नई अधिकतम खुदरा कीमत के अनुरूप प्रोफिट मार्जिन ही वसूलें.
पुराना माल नई कीमत पर बेचने की सलाह SEA ने कहा है कि दुकानदार बाजार में अभी जो पुराना स्टॉक मौजूद है, उसे भी नई कीमतों के अनुसार घटी हुई कीमत पर ही बेचें. इससे पहले भी कई बार सरकार और एसोसिएशन के कहने पर कंपनियां खाद्य तेलों के दाम घटा चुकी हैं. इसलिए अगर सरकार का दबाव बढ़ता है, तब कंपनियां त्योहार से पहले तेल की कीमतों में कुछ कटौती कर सकती हैं.
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