भारत की तरफ से गैर बासमती चावल के निर्यात पर लगाई गई पाबंदियों का असर ग्लोबल मार्केट में चावल की कीमतों पर दिखने लगा है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में चावल की कीमतें करीब 12 साल के ऊपरी स्तर पर पहुंच गई हैं. जुलाई के दौरान संयुक्त राष्ट्र की फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन यानी FAO का आल राइस इंडेक्स 2.8 फीसद बढ़कर 129.7 तक पहुंच गया है जो पिछले साल की तुलना में करीब 19.7 फीसद ज्यादा है और 2011 के बाद सबसे ऊपरी स्तर है. चावल की इंडिका किस्मों के भाव में आई तेजी की वजह से आल राइस इंडेक्स बढ़ा है. जुलाई के दौरान इंडिका इंडेक्स भी बढ़कर 135.4 पर दर्ज किया गया है, जो पिछले साल जुलाई में 108.8 हुआ करता था.
20 जुलाई को ही भारत ने गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था, जिसके बाद संभावना बढ़ गई थी कि ग्लोबल मार्केट में चावल की कीमतों में तेजी आ सकती है. भारत के इस कदम की वजह से दुनिया के अधिकतर हिस्सों में चावल महंगा हो गया है. खासकर थाईलैंड में चावल की कीमतों में जोरदार उछाल आया है. जुलाई के अंतिम 2 हफ्तों के दौरान थाईलैंड में चावल की कीमतें करीब 38 डॉलर प्रति टन बढ़कर 562 डॉलर तक पहुंच गई हैं जो फरवरी 2021 के बाद सबसे ऊपरी स्तर है.
दुनियाभर में भारत चावल का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर है और भारत के बाद थाईलैंड तथा वियतनाम का स्थान है. दुनिया के कुल चावल एक्सपोर्ट में भारत की हिस्सेदारी 40 फीसद से ज्यादा है और दुनिया के 150 से ज्यादा देशों को भारत का चावल एक्सपोर्ट होता है. ऐसे में एक्सपोर्ट पर पाबंदी के भारत के फैसले के बाद दुनियाभर में चावल महंगा हो रहा है.
वित्तवर्ष 2022-23 के दौरान भारत से कुल 223.5 लाख टन चावल का निर्यात हुआ था जिसमें 99.4 लाख टन गैर बासमती सफेद चावल था, जिसके निर्यात पर प्रतिबंध का फैसला किया गया है. फिलहाल देश से बासमती चावल और प्रोबोआयल्ड या सेला चावल के निर्यात की ही अनुमति है. टूटे गैर बासमती चावल के निर्यात पर पिछले साल ही प्रतिबंध लगाया जा चुका है. वित्तवर्ष 2022-23 के दौरान देश से 45.6 लाख टन बासमती चावल और 78.5 लाख टन सेला चावल का निर्यात हुआ था.