देश में पाम ऑयल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने 25 जुलाई से देश में पाम के वृक्षारोपण का अभियान चलाया हुआ था, शनिवार को यह अभियान समाप्त हुआ. कृषि मंत्रालय की तफ से दावा किया गया कि अभियान के तहत 11 राज्यों 7 हजार किसानों को इस अभियान में शामिल किया गया और कुल 3500 हेक्टेयर ऑयल पाम वृक्षारोपण किया गया. अभियान का मकसद देश में पाम की खेती को बढ़ावा देकर पाम ऑयल के आयात पर निर्भरता कम करना तथा खाद्य तेलों के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाना है.
हालांकि आंकड़े देखें तो सरकार के इस प्रयास को देश को पाम ऑयल के मामले में आत्मनिर्भर बनाने की शुरुआत भर माना जा सकता है. क्योंकि 3500 हेक्टेयर भूमि में पाम की खेती से जितना पाम तेल निकलेगा वह देश की सालाना जरूरत को आधा फीसद पूरा करने लायक भी नहीं है.
देश में तेल तिलहन उद्योग संगठन सॉलवेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन की एक रिपोर्ट बताती है कि प्रति हेक्टेयर पाम की खेती से करीब 3.5 से 4 टन पाम तेल निकाला जा सकता है. यानी 3500 हेक्टेयर पाम की खेती से लगभग 13 हजार टन पाम तेल का उत्पादन होगा. जो देश में सालभर में खपत होने वाले पाम तेल का आधा फीसद भी नहीं है. देश में सालभर के दौरान 75-80 लाख टन पाम तेल की खपत होती है और इसमें अधिकतर तेल इंपोर्ट ही होता है. ऑयल वर्ष 2022-23 के पहले 8 महीने यानी नवंबर 2022 से जून 2023 के दौरान देश में 60 लाख टन से ज्यादा पाम तेल का आयात हो चुका है. घरेलू स्तर पर उत्पादन की बात करें तो सालाना उत्पादन सिर्फ 3 लाख टन के करीब है.
ऐसे में पाम की खेती की शुरुआत सही दिशा में उठाया गया कदम जरूर है, लेकिन पाम तेल के मामले में आत्मनिर्भर बनने के लिए लंबा समय लग सकता है. फिलहाल जिन 11 राज्यों में पाम की खेती की शुरुआत हुई है, वे आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, गोवा, कर्नाटक, मिजोरम, नागालैंड, ओडिशा, तमिलनाडु, तेलंगाना और त्रिपुरा हैं. इस अभियान में सरकार के साथ कुछ निजी कंपनियां भी सहयोग कर रही हैं.