मानसून के बाद दूध के दामों में कमी आ सकती है. ये कहना है केंद्रीय पशुपालन, मत्स्य पालन और डेयरी राज्य मंत्री परषोत्तम रूपाला का. पिछले तीन सालों में दूध के दामों में 22 फीसद का उछाल आया है. 10 फीसद दाम तो केवल पिछले एक साल में ही बढ़े हैं. रूपाला ने कहा कि मानसून के बाद हरे चारे की कमी खत्म हो जाएगी और चारा आसानी से कम दामों में उपलब्ध होगा. ऐसा होने से दूध की कीमतें भी कम हो जाएंगी.
उन्होंने कहा कि मौसम के कारण फसलों को नुकसान हो सकता है लेकिन फिलहाल चिंता की कहीं कोई बात नहीं है. अगर कहीं कोई परेशानी की स्थिति बनती भी है तब भी राज्यों के पास इससे निपटने के लिए पर्याप्त भंडार है. दूध उत्पादकता में सुधार के लिए सरकार नई ब्रीड्स पर काम कर रही है जो ऐसी विषम परिस्थितियों का भी सामना कर सके.
मंत्री ने कहा कि दूध जल्दी खराब होने वाली वस्तु है. ऐसी वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव एक आम बात है. दूध खरीदारों के जरिए जो राशि आती है उसका 75 फीसदी तक सीधे उत्पादकों की जेब में जाता है. अब हम ये कोशिश कर रहे हैं कि किसानों को उनकी उत्पादन लागत को कवर करने में कैसे मदद की जाए.
परषोत्तम रूपाला ने कहा कि उनका मंत्रालय दूध की कीमतों को रेगुलेट नहीं करता है. ये कीमतें सहकारी और निजी डेयरियों द्वारा तय की जाती हैं. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वक्त से हरे चारे की कीमतों में लगातार कमी आ रही है और मानसून की स्थितियों को देखते हुए ऐसी उम्मीद है कि मानसून के बाद दूध की कीमतें स्थिर हो जाएंगी और साथ ही दूध का उत्पादन भी बढ़ जाएगा.
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध रिपोर्ट के मुताबिक 1 जुलाई 2021 में दूध के औसत दाम 46 रुपए लीटर थे और 31 जुलाई 2023 को दूध के औसत दाम 53 रुपए लीटर हैं.