रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध का असर सिर्फ यूक्रेन के नागरिकों पर ही नहीं पड़ा बल्कि विदेश से आए छात्र भी प्रभावित हुए हैं. इनमें भारतीय छात्र भी शामिल हैं. यूक्रेन में पढ़ाई कर रहे करीब भारतीय 23,515 छात्रों को अपना सपना अधूरा छोड़कर वापस लौटना पड़ा. लेकिन अब इनके सपने को दूसरा मौका मिल रहा है. युद्ध की वजह से भारत आए आधे से ज्यादा छात्र अपनी पढ़ाई पूरी करने अब यूक्रेन लौट रहे हैं. ज्यादातर छात्रों ने रूस, जॉर्जिया, उज़्बेकिस्तान, कजाकस्तान और किर्गिस्तान की यूनिवर्सिटी में अपना तबादला कराया है. इनमें से 10 फीसद छात्र वापस यूक्रेन में भी अपनी पढ़ाई पूरी करेंगे.
कीव में स्थित भारतीय एम्बेसी के मुताबिक अप्रैल 2023 तक 2300 छात्र यूक्रेन लौट चुके हैं. करीब एक चौथाई छात्र अभी भी ऑनलाइन क्लास ले रहे हैं. ऐसे ज्यादातर छात्र फाइनल ईयर में हैं. बाकी बचे छात्रों की पढ़ाई या तो पूरी हो चुकी है या फिर उन्होंने पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यूद्ध के बाद करीब 3000-4000 छात्र अपनी पढ़ाई पूरी कर चुके हैं. वहीं, आठ से 10 हजार छात्र ऐसे हैं जिन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए दूसरे देशों में जाने का विकल्प चुना है.
भारत में ज्यादातर दो तरह के छात्र बचे हैं. एक वह जो आखिरी साल की पढ़ाई पूरी कर रहे हैं और उन्हें ट्रांसफर कराने में कोई फायदा नजर नहीं आ रहा है. दूसरे वे हैं जो दूसरे या चौथे साल की पढ़ाई कर रहे हैं. इन छात्रों को ट्रांसफर कराने में समस्या आ रही है. यूक्रेन की कुछ यूनिवर्सिटी छात्रों को पढ़ाई से जुड़े दस्तावेज देने के लिए पूरे साल की फीस की मांग कर रही है. साथ ही उनका कहना है कि अपने शैक्षणिक दस्तावेज लेने छात्र या तो खुद वापस आएं या फिर अन्य व्यक्ति को भेजे. फिलहाल यूक्रेन के लिए कोई भी सीधी फ्लाइट नहीं है. ऐसे में बिना कागजों के छात्र कहीं और ट्रांसफर भी नहीं ले पा रहे हैं.
बता दें कि मेडिकल डिग्री लेने के लिए यूक्रेन में दो KROK 1 और KROK 2 एग्जाम होते हैं. भारत में यह एग्जाम जून और जुलाई में पूरे कराएं जाएंगे.